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लवर्ज़ विद फ्लार्ज़, मार्क शगाल Lovers with Flowers, Marc Chagall |
प्रेम क्या है?
हमने उसपर सैंकड़ों निबंध पढ़ डाले
और फिर भी नहीं जानते कि पढ़ा क्या है
पढ़ डाले व्याख्यान,
कृतियाँ ज्योतिष और चिकित्सा की
और नहीं जानते शुरू कहाँ से किया था
हमने रट लिया है पूरा लोक-साहित्य
कविता और गीत
और एक पंक्ति भी याद नहीं है
हमने पूछी प्रेम-ज्ञानियों से उनकी अवस्था
और पाया कि वे हमसे अधिक कुछ नहीं जानते
प्रेम क्या है?
हमने पूछा उस का हाल-चाल
जाकर उसकी छिपने की जगह में,
मगर जब भी उसे पकड़ने लगते, वह हम से छूट जाता
हमने जंगलों में उसका पीछा किया, सालों साल,
मगर हम रास्ता भूल गए
हम पीछा करते रहे उसका अफ्रीका तक...बंगाल तक
नेपाल, करिबियन तक, माहोरका
और ब्राज़ील के जंगलों तक
मगर कभी पहुँच नहीं पाए उस तक
हमने प्रेम-विद्वानों से पूछे उनके समाचार
और पाया कि वे हमसे अधिक कुछ नहीं जानते
प्रेम क्या है?
हमने संतों से पूछा उसके बारे में, हमने पूछा कथाओं के नायकों से
उन्होंने कहे कितने सुन्दर शब्द, मगर हमें
नहीं हुआ विश्वास
एक बार हमने अपने सहपाठियों से पूछा उसके बारे में
और उन्होंने उत्तर दिया की प्रेम है एक स्वप्निल बच्चा
जो एक नर्गिस के बारे में लिखता है कविता
बटोरता है अपनी झोली में चींटियाँ,मूंगफलियाँ और बेर
सहलाता है प्रताड़ित बिल्ली के बच्चों को
हमने प्रेम-विशेषज्ञों से उनका अनुभव पूछा
और पाया कि वे हमसे अधिक कुछ नहीं जानते
प्रेम क्या है?
हमने पूछा उसके बारे में धर्मनिष्ठ और अच्छे लोगों से...व्यर्थ ही में
हमने पूछा धर्म से जुड़े लोगों से...व्यर्थ ही में
हमने प्रेमियों से पूछा उसके बारे में, और उन्होंने कहा:
वह बचपन में ही घर छोड़ कर चला गया था
हाथ में पंछी और टहनी लिए
और हमने पूछी उसकी आयु उन सब से जो उसकी आयु के थे
और उन्होंने उपहास करते हुए कहा
प्रेम की आयु कब से होने लगी
प्रेम क्या है?
हमने सुना था कि वह है एक दैवी आज्ञा
जो हमने सुना था हमने मान लिया
और हमने सुना था कि वह है एक दिव्य सितारा
तो हम हर रात खोल देते अपनी खिड़कियाँ...और प्रतीक्षा में बैठे रहते
हमने सुना था कि वह बिजली है...कि उसको छू लेंगे तो
हम भस्म हो जाएँगे
हमने सुना था कि वह है एक तेज़ तलवार
कि अगर निकाला म्यान से तो हम मारे जाएँगे
हमने पूछा प्रेम के राजदूतों से उनकी यात्राओं के बारे में
और पाया कि वे हमसे अधिक कुछ नहीं जानते
प्रेम क्या है?
हमने देखा उसका चेहरा आर्किड के फूल में...मगर हम
कुछ नहीं समझे
हमने सुनी उसकी आवाज़ कोयल की कूक में...फिर भी
हम नहीं समझे
झलक देखी उसकी गेहूं की बाली में, हिरन की चाल में,
अप्रैल के रंगों में
शोपैं के संगीत में
मगर हमने नहीं दिया ध्यान
हमने प्रेम के पैगम्बरों से उनके रहस्य पूछे
और पाया कि वे हमसे अधिक कुछ नहीं जानते
और फिर हमने सहायता मांगी इतिहास के प्रेम-राजकुमारों से
हमने राय ली लैला के पागल प्रेमी से
हमने राय ली लुबना के पागल प्रेमी से
और पाया की वे जिन्हें हम समझते थे प्रेम के राजकुमार
प्रेम में जितने हम खुश थे कभी उस से अधिक खुश न थे.
-- -- निज़ार क़ब्बानी
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
अब बताइये ,कैसे कोई एक राय बनाई जाय प्रेम के बारे में ! जितने मुँह उतनी बातें ! हो गई न मुश्किल ! बेहतर होगा हम कोई राय न बनाएँ ,बस प्रेम करें !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता. प्रेम पर जितनी बातें हैं कम हैं.
जवाब देंहटाएंरीनू जी, प्रेम की सभ्यता का निघंटु, अगर कहीं है तो, श्वेत पन्नों वाला है... शब्दहीन! भाषातीत!! speech, at best, is an honest lie!
जवाब देंहटाएंऔर पाया कि वे हमसे अधिक कुछ नहीं जानते, सुंदर
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