गुरुवार, नवंबर 08, 2012

क्यों है ऐसा मौन?

दी एज ऑफ़ अ हीथ बाय मूनलाइट, जॉन कांस्टेबल
The Edge of a Heath by Moonlight, John Constable
शायद ही सांस ले रहे हैं पत्ते
इस श्यामल पवन में;
वृत्त बना रहे हैं सांझ में
पंख फड़फड़ाते अबाबील.

मेरे प्रेम-भरे
मुरझाते मन में
छा रही है सांझ ,
एक आखिरी रश्मि,
प्यार से झिड़कती है.

और सांध्य अरण्य के ऊपर
कांसे का चाँद
चढ़ कर ग्रहण करता है अपना स्थान.
संगीत क्यों थम गया है?
क्यों है ऐसा मौन?



-- ओसिप मैंडलस्टैम



Osip Mandelstam ओसिप मैंडलस्टैम ( Osip Mandelstam )रूसी कवि व निबंधकार थे और विश्व साहित्य में भी उनकी गीतात्मक कविताओं का विशिष्ट स्थान है. वे यहूदी थे और उनका परिवार पोलिश मूल का था, मगर वे सेंट पीटर्सबर्ग में बड़े हुए. स्कूल के समय से ही वे कविता लिखने लगे थे. उन्होंने अपने समकालीन रूसी कवियों के साथ मिल कर 'एक्मेइज़म'  ( Acmeism ) की स्थापना की. 22 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ -- द स्टोन. जब उनकी कविताओं में रूसी क्रांति के दिग्भ्रमित होने का दुःख छलकने लगा, तो स्तालिन ने उन्हें निर्वासित कर दिया. उनके अनेक कविता व निबंध संग्रह प्रकाशित हुए व उनकी कविताओं का खूब अनुवाद भी किया गया है. यह कविता उनके संकलन 'स्टोन' से है.
इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद क्लेरन्स ब्राउन व डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़