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लैंडस्केप, रवीन्द्रनाथ टैगोर Landscape, Rabindranath Tagore |
जहाँ शांत पेड़
नीले पानी पर झुके रहते हैं,
टैगोर रहते हैं.
समय खड़ा रहता है वहां
मंत्रमुग्ध-सा ,
गहरा नीला एक वृत्त.
घडी,
न महीना बताती है न साल,
न महीना बताती है न साल,
बस मंदिरों के शिखरों पर से,
पेड़ों के पर्वतों पर से,
किन्हीं अदृश्य कलों से
संचालित,
एक मौन में तरंगित होती है.
वहां कोई मर नहीं रहा,
कोई विदा नहीं ले रहा --
एक पेड़ पर अटका
जीवन अनंत है ...
-- स्रेच्को कोसोवेल

इस कविता का मूल स्लोवीनियन से अंग्रेजी में अनुवाद आना जेल्निकर व बारबरा सीगल कार्लसन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़