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आलमंड ट्री इन ब्लॉसम, विन्सेंट वान गोग Almond Tree in Blossom, Vincent Van Gogh |
सड़क से गीली घास की खुशबू आ रही थी.
और, एक बार फिर, गर्मी ने
रख दिया था हमारे काँधे पर अपना हाथ
मानो कह रही हो कि समय
हमसे अभी कुछ छीनने नहीं जा रहा है.
मगर वहाँ
मैदान जहाँ जाकर टकराता है बादाम के पेड़ से,
देखो, एक मृग-छौना पत्तों पर से
कल से लेकर आज तक
कुलाँचे भरता निकला था.
और हम रुक गए थे, अलौकिक था वह सब,
और मैं तुम्हारे निकट आया था,
खींच के दूर किया था मैंने तुम्हें पेड़ के काले तने से,
उस टहनी से जिस पर बिजली गिरी थी,
जिस में से कल का रस, अब तक दैवी, बह रहा था.
-- ईव बोन्नफ़ोआ
इस कविता का फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़