गुरुवार, जनवरी 30, 2014

मेज़

टेबल विद नेब्युले, यूज्नी ब्रैंडज़
Table with  Nebulae, Eugene Brands
याद है जब तुम इस मेज़ पर बैठ रोज़ एक 
कविता लिखा करते थे? अब कैसे सुराखों से 
भरी है...दीमक के, गोलियों के बनाए सुराख.
रात को हवा इसे बांसुरी की तरह बजाती है.

कभी-कभी, भोर से ज़रा पहले, यूरेनिया* उतर 
आती है. वह रखती है इसी मेज़ पर अपने सफ़ेद 
दस्ताने, सफ़ेद बटुआ, अपने नक्षत्र-जड़े कंगन, 
और लेट जाती है तुम्हारी बगल में जब तुम नींद 
में होते हो. या कर रहे होते हो सोने का नाटक.



-- ज्यानिस रीत्ज़ोज़  



 ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे.

इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड हारसेन्ट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

*यूरेनिया (Urania) -- ग्रीक मिथक-कथाओं में यूरेनिया यूरेनस की पौत्री एवं जियस की पुत्री थीं व खगोल विद्या की वाग्देवी समझी जाती थीं 

बुधवार, जनवरी 15, 2014

शायद वह लौट आएगा

स्कूल फ्रेंड्स, निकोलई बोग्दानोव-बेल्स्की
School Friends, Nikolay Bogdanov-Belsky

शायद लौट आएगा, वह बावला, और थाम लेगा मुझे काँधे से 

कल ही की तरह, जब मर जाना चाहता था मैं गड्ढे में गिर कर 

शायद वह कहेगा, मेरे बाप, बीच रास्ते में छोड़ कर मत जा 

वहाँ ले चल मुझे जहाँ शब्द छलनी न करते हों


-- क्लौद एस्तेबान



  क्लौद एस्तेबान (Claude Esteban) एक फ्रेंच कवि , निबंधकार व अनुवादक थे। वे फ्रेंच व स्पेनिश दोनों भाषाओं में सिद्धहस्त थे। पिछली सदी के दूसरे हिस्से के प्रमुख कवियों में से एक, वे अपने पीछे महत्वपूर्ण कृति छोड़ गए हैं। उन्होंने कला व कविता पर असंख्य निबंध लिखे व स्पैनिश भाषा के प्रमुख कवियों ओक्टावियो पास, बोर्खेस, लोर्का इत्यादि की कविताओं व लेखन का अनुवाद किया। आरम्भ में वे फ्रेंच कला व साहित्य की पत्रिकाओं में लेख लिखते रहे। 1968 में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ --'ला सेजों देवास्ते '.इसके बाद उनके कई संकलन प्रकशित हुए, वे प्रसिद्द कलाकारों के लिए उनकी प्रदर्शनियों के कैटालोग के लिए प्रस्तावनाएँ लिखते रहे। स्पेनी कवि होर्खे गुइयें से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई व उन्होंने उनके कृत्य का  फ्रेंच में खूब अनुवाद किया। 1984 में उन्हें अपनी गद्य कविताओं के लिए मालार्मे पुरूस्कार प्राप्त हुआ। कला में उन्हें गहरी रूचि रही और 1991 में उन्हें एडवर्ड हापपर के चित्रों से प्रेरित कविता संकलन 'सोलई दौन्ज़ युन पीएस वीद ' के लिए फ्रांस कल्चर प्राइज़ प्राप्त हुआ। उनके 13 कविता संकलन, कई निबंध व अनेक अनुवाद प्रकाशित हुए,. यह कविता उनके संकलन 'ल यूर आ पेन ऐक्री ' से है।

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शनिवार, जनवरी 04, 2014

खुला दरवाज़ा

द ब्लू बर्ड, मार्क शगाल
The Blue Bird, Marc Chagall
मैं  करती हूँ कड़ी मेहनत
ताकि मेरे पास हो खाली समय.

पंछी चढ़ते हैं अपने वृन्दगीतों के 
सोपान.

वे चख चुके हैं पेड़ की फुनगी,
मगर वे ठहर नहीं रहे.

सारा आकाश कहता है,
अब तुम्हारी चाल.  


-- नाओमी शिहाब नाए 




 नाओमी शिहाब नाए ( Naomi Shihab Nye )एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है. यह कविता उनके संकलन ''फ़ुएल " से है. 


इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़  

बुधवार, जनवरी 01, 2014

बड़ा आदमी

स्कल्पटर्ज़ इन एंशिएंट रोम, सर लॉरेंस एल्मा-तादेमा
Sculptors in Ancient Rome, Sir Lawrence Alma-Tadema





मैं मिला उस से 
एक मूर्तिकार के यहाँ  
जहाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए वह 
अपना नाप दे रहा था


-- याक प्रेवेर 




 
याक प्रेवेर  (Jacques Prévert)फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है. 




इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़