![]() |
कैट्स, फ्रैंज मार्क Cats, Franz Mark |
ऊँची भी नहीं, वास्तव में,
वे कम थीं,
नीची, ज़मीन के पास-पास,
मैं सहला सकती थी उनको
जैसे कोई सहलाता है उस बिल्ली को
जो तुम्हारी न होने पर भी
पैरों से लिपटने लगती है.
हाँ, मुझे अकेला लगता है उनके बिना.
अब जब मैं जानती हूँ यह सत्य
कि वह मेरा स्वप्न ही था कि कोई मुझे पसंद करता है,
घर की दीवार की ओट में पत्तों के बिछौने पर
बिल्ली स्वयं से लिपट कर सो गई है और मुझे अभी भी
वह सब करना है जो पहले करना था...
भीतर की छिपी-छिपी गुनगुनाहट
के बिना.
-- नाओमी शिहाब नाए

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़