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सेंट लाज़ार स्टेशन, अराइवल ऑफ़ अ ट्रेन, क्लौद मोने Saint-Lazare station, Arrival of a Train, Claude Monet |
मैं ट्रेन से उतरा
और उस आदमी को अलविदा कहा
और उस आदमी को अलविदा कहा
जिससे मैं मिला था.
हम अठारह घंटे साथ रहे थे
और हमारे बीच हुई थी सुखद बातचीत,
यात्रा का साथ था,
और मुझे दुःख था ट्रेन से उतरने का,
खेद था छोड़ के चले आने का
इस संयोग से बने मित्र को,
जिसका नाम तक मैं नहीं जान पाया.
मैं भीगता महसूस कर रहा था
अपनी आँखों को...
हर विदाई एक मृत्यु है.
हाँ, हर विदाई एक मृत्यु है.
उस ट्रेन में जिसे हम जीवन कहते हैं,
हम सब संयोगिक घटनाएँ हैं
एक-दूसरे के जीवन की ,
और हमें दुःख होता है जब उतरने का समय आता है.
वह सब जो मानवीय है मुझे प्रभावित करता है, क्यूंकि मैं एक मनुष्य हूँ.
वह सब जो मानवीय है मुझे प्रभावित करता है, इसलिए नहीं कि मुझे
मानवीय भावों या मानवीय मतों से लगाव है
परन्तु इसलिए कि स्वयं मानवता के साथ मेरा असीम संसर्ग है.
वह नौकरानी जिसका बिलकुल मन नहीं था जाने का,
याद करके रोती है
उस घर को जहाँ उस के साथ दुर्व्यवहार किया गया...
ये सब, मेरे मन में, है मृत्यु और दुनिया का दुःख.
ये सब जीता है, क्यूंकि वह मरता है, मेरे मन में .
-- फेर्नान्दो पस्सोआ ( आल्वरो द कम्पोस )

इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़