शनिवार, अप्रैल 07, 2012

मुझे लगा मैं मर रहा हूँ...

लवर्ज़ इन ग्रीन, मार्क शगाल
Lovers In Green, Marc Chagall
मुझे लगा मैं मर रहा हूँ, 
कुछ सर्द-सा बहुत करीब था, और 
मैं जानता था कि अपने पूरे जीवन में से, 
मैं केवल तुम्हें पीछे छोड़ आया हूँ 
मेरी धरती के दिन-रात थे तुम्हारे होंठ 
जो स्थापित किया था मेरे चुम्बनों ने 
वो गणराज्य थी तुम्हारी त्वचा. 

उस पल में सब किताबें रुक गयीं,
और दोस्ती,
लगातार एकत्रित किया खज़ाना, वह
पारदर्शी घर जो तुमने और मैंने बनाया था,
सिवाय तुम्हारी आँखों के, सब कुछ छूटता गया.

क्योंकि जिस समय जीवन हमें सताता है, प्रेम 
केवल एक ही लहर ऊंचा होता है दूसरी लहरों से,
ओह मगर जब मृत्यु आकर खटखटाती है द्वार,

उतनी रिक्तता के विरूद्ध होती है केवल तुम्हारी दृष्टि   
विलोपन  के विरूद्ध केवल तुम्हारा उजाला 
परछाइयों को रोक देने के लिए  केवल तुम्हारा प्रेम.


-- पाब्लो नेरुदा 




 पाब्लो नेरुदा ( Pablo Neruda ) को कौन नहीं जानता. वे चिली के कवि थे.कोलंबिया के महान उपन्यासकार गेब्रिअल गार्सिया मार्केज़ ने उन्हें ' 20 वीं सदी का, दुनिया की सभी भाषाओँ में से सबसे बेहतरीन कवि ' कहा है. 10वर्ष की आयु में उन्होंने कविताएँ लिखनी शुरू की. 19वर्ष की आयु में उनका पहला संकलन 'क्रेपेस्क्युलारियो ' प्रकाशित हुआ और उसके बाद उनकी प्रसिद्द प्रेम कविताएँ ' ट्वेंटी पोएम्ज़ ऑफ़ लव एंड अ सोंग ऑफ़ डेसपैर '. दोनों संकलन खूब सराहे गए और दूसरी भाषाओँ में अनूदित लिए गए. उनकी प्रेम कविताओं की तो सहस्रों प्रतियाँ आज तक बिक चुकी है. उनके पूरे लेखन काल में उनकी 50से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई और अनेक भाषाओँ में असंख्य अनुवाद हुए. 1971में उन्हें नोबेल प्राइज़ भी प्राप्त हुआ. यह कविता उनके संकलन '100 लव सोनेट्स ' से है. यह आठवां सोनेट है .
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीफन टैपस्कोट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़