शुक्रवार, नवंबर 11, 2011

चकित करती सांझ

द सेन एट बूज्यिवाल इन द ईवनिंग, क्लौद मोने
The Seine At Bougival In The Evening, Claude Monet
कोई अनजानी धूल है 
कहीं हमारे पास ही 
एकदम पहाड़ी के दूसरी ओर
किनारों पर बिखरती हुई लहरें
जो हमने कभी नहीं देखे,
ऐसे पंछियों से भरे हुए पेड़ 
गहरे रंग की मछलियों से भरे,
ऊपर खिचे हुए जाल.

सांझ आती है;
हम ऊपर देखतें हैं और वह वहां है 
वह आई है छन के तारों के जाल में से  
घास की मलमल में से 
चुपचाप चलती हुई पानी के आश्रयों पर.

हम सोचते हैं कि कभी नहीं होगा दिन का अंत :
हमारे बाल ऐसे हैं जो लगते हैं
कि रोशनी के लिए ही बने हैं;
मगर अंततः रात का शांत पानी चढ़ेगा 
और जैसा कि पानी के तले वह करती है 
हमारी खाल देखेगी दूर, बहुत दूर तक.



--- रोबर्ट ब्लाए 



 रोबर्ट ब्लाए ( Robert Bly ) अमरीकी कवि,लेखक व अनुवादक हैं. 36 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ, मगर उस से पहले साहित्य पढ़ते समय उन्हें फुलब्राईट स्कॉलरशिप मिला और वे नोर्वे जाकर वहां के कवियों की कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी में करने लगे. वहीं पर वे दूसरी भाषाओँ के अच्छे कवियों से दो-चार हुए - नेरुदा, अंतोनियो मचादो, रूमी, हाफिज़, कबीर, मीराबाई इत्यादि. अमरीका में लोग इन कवियों को नहीं जानते थे. उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हुए और उन्होंने खूब अनुवाद भी किया है. अमरीका के वे लोकप्रिय कवि हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा में उनके लिखे 80,000 पन्नों की आर्काइव है, जो उनका लगभग पचास वर्षों का काम है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़