मंगलवार, मार्च 20, 2012

यहाँ तक पहुँचना

कपल वाकिंग, पाब्लो पिकासो
Couple Walking, Pablo Picasso
जो हम चाहते थे हम कर चुके.
सपनों को हमने निकल फेंका है, चुना है
एक-दूसरे के साथ का कठिन उद्यम,
और दुःख के लिए हमने बाहें पसार दी हैं,
और बर्बादी को माना है ऐसी आदत
जो तोड़ी नहीं जा सकती.

और अब हम यहाँ हैं.
भोजन तैयार है और हम खा नहीं सकते.
गोश्त बैठा है अपनी तश्तरी की सफ़ेद झील में.
मदिरा इंतज़ार करती है.

यहाँ तक पहुँचने के
अपने फायदे हैं, कोई वायदा नहीं किया गया है,
कुछ छीना नहीं गया है,
हमारे पास कोई दिल नहीं, बचा सके ऐसा कोई गुण नहीं,
जाने के लिए कोई जगह नहीं, रहने के लिए कोई कारण नहीं.



--  मार्क स्ट्रैन्ड




 मार्क स्ट्रैन्ड ( Mark Strand )एक अमरीकी कवि, लेखक व अनुवादक हैं. 1990 में वे अमरीका के 'पोएट लौरेएट ' थे. वे कई जाने-माने विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ा चुके हैं और आजकल  कोलम्बिया  युनिवेर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं. उन्हें 'पुलित्ज़र प्राइज़ ' सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं. अब तक उनकी कविताओं, लेखों व अनुवादों के 30 से भी अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से अनुवाद -- रीनू  तलवाड़