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लवर्स हैंड्स, ओग्यूस्त रोदें Lovers Hands, Auguste Rodin |
हवा का हाथ थामती हूँ मैं,
या तुम्हारा कल्पित,
ना छुआ जा सकने वाला हाथ.
यहाँ नहीं हो तुम,
मगर चलते-चलते
तुम्हारी उँगलियाँ जैसे
मेरी उँगलियों में गुंथ जाती हैं.
और मेरे मन के किसी कोने में
बोलने लगते हो तुम.
हवा को हौले-से दबाती हूँ मैं,
झड़े हुए पत्तों को पैरों से बिखेर देती हूँ,
अचानक सब सुनहरा हो जाता है.
आधा विश्वास तो हो ही जाता है मुझे,
कि मेरा हाथ तुम्हारे हाथ में ही है,
वैसे ही जैसे,
अगर तुम यहाँ होते, तो होता.
मेरे मन में क्या कहते जा रहे हो तुम?
सर झुका कर सुनती हूँ,
और लगता है जैसे तुम्हारा हाथ, ऊपर उठ,
सचमुच मेरे बालों को हलके-से सहला रहा है,
वैसे ही जैसे,
ऊपर इन बेचैन पेड़ों को हवा
सचमुच हौले-से छू रही है.
अब प्यार के बारे में बोलते हुए
तुम्हें साफ़-साफ़ सुन पा रही हूँ.
-- कैरल एन डफ्फी

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़