गुरुवार, जुलाई 28, 2011

एक गुंजायमान अकेलापन

स्टारी नाईट ओवर द रोन, विन्सेंट वान गोग
Starry Night Over The Rhone, Vincent Van Gogh

रात खींच कर ले गयी उसको 
प्यार के अकेलेपन में उठाये आनंद 
के शिखर तक, आत्मा मुक्त, 
सारी समझदारी जलती हुई
एक समर्पित खोज की आग में.
आँखें एक जीवित महासागर से लबालब,
वह अपनी यात्रा की भोर तक जा पाया. 
वह जानता था रात होना
और गहराईयों तक सहना.
उसकी प्रार्थना पर्वतों में 
सितारों की गूढ़ नि:शब्दता को 
खुली हुई थी.
उसके दिनों का बीतना 
बस एक सामंजस्य था,
एक चपल ज्योति की अनंत उड़ान-सा.
उसने सागर पार किया: 
जब पागल पवन पूरी तरह उन्मुक्त थी, 
और किनारे एक गुंजायमान अकेलेपन 
में पाए गए.
देह उसका घर थी, 
और भोर जिए-गए प्यार कि नई देहरी.
दिन एक छाया था, 
घड़ियाँ जैसे गेहूं की बालियों से,
रेगिस्तान में सोई चुप्पी से कढ़ी हुई:
हर पल में उसे उम्मीद थी 
एक जलते-हुए जोश की,
उसे उम्मीद थी कि आग रात बन जाएगी,
वह झरना गाएगी जिसे वह सुनता है.

उसकी आँख की पुतली में अब दूरी नहीं थी.
वह जानता था रात होना
और गहराईयों तक सहना.


-- कार्लोस ओबरेगोन


Photo Carlos  Obregón © Image:







कार्लोस ओबरेगोन ( Carlos Obregón ) कोलम्बिया के कवि थे. उन्हें कोलम्बियन कविता का सबसे अच्छी तरह छुपाया राज़ कहा जा सकता है. हालाँकि उनका  कृतित्व अधिक नहीं है, ( 33 वर्ष की आयु में उन्होंने आत्महत्या कर ली थी ), मगर अब उन्हें महान लातिन-अमरीकी कवियों में गिना जाने लगा है. भौतिकी और दर्शन पढने-पढ़ाने के इलावा उन्होंने अनेक यात्राएँ की. उनके अन्दर एक असंतोष, एक अधीरता थी. उन्होंने स्पेन में काफी समय बिताया और वहीँ पर उनकी दो किताबें प्रकाशित हुईं, जो उनके छोटे लेकिन गहन जीवन का  दस्तावेज़ हैं.
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद निकोलास सुएस्कून ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़