शुक्रवार, जून 29, 2012

थके हुए शब्द

टू हैण्डज़  होल्डिंग अ पेयर ऑफ़ बुक्स , एल्ब्रेख्त द्युहरर
Two Hands Holding a Pair of Books,
Albrecht Durer
जो हाल की कविताएँ है
देर से आई हुईं
उन्हीं की शरण लेता हूँ अब
उस आशा का पीछा करते-करते
जो मुझे संकेत करती है
जो प्रतीक्षा करती है
छिप कर पंक्तियों के बीच कहीं
मगर है दृष्टि के लगभग ठीक सामने

ये हाल की,
देर से आई कविताएँ ही हैं

जो बुनी गई हैं उन शब्दों से
जो आए हैं तय कर के पूरा रास्ता
जो हमेशा साथ रहे हैं 



-- डब्ल्यू एस मर्विन 


W.S. Merwin डब्ल्यू एस मर्विन ( W S Merwin )अमरीकी कवि हैं व इन दिनों अमरीका के पोएट लॉरीअट भी हैं.उनकी कविताओं, अनुवादों व लेखों के 30 से अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं .उन्होंने दूसरी भाषाओँ के प्रमुख कवियों के संकलन, अंग्रेजी में खूब अनूदित किये हैं, व अपनी कविताओं का भी स्वयं ही दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया है.अपनी कविताओं के लिए उन्हें अन्य सम्मानों सहित पुलित्ज़र प्राइज़ भी मिल चुका है.वे अधिकतर बिना विराम आदि चिन्हों के मुक्त छंद में कविता लिखते हैं.यह कविता उनके संकलन 'द शैडो ऑफ़ सिरिअस ' से है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

बुधवार, जून 27, 2012

पार देखना सीखो

अलोन, पॉल गोगैं
Alone, Paul Gauguin
सीखो पार देखना,
पहले जुदा हो, आगे बढ़ जाना.
आँसू, लार, वीर्य
नहीं हैं अकेलेपन के विलायक.
शादी के सुनहरे कटोरों पर
या वेश्या के प्लास्टिक कप पर,
अगर अनुभवी हो आँख,
देख सकती है
अकेलेपन के कसैले अवशेष. 



-- वेरा पाव्लोवा 




वेरा पाव्लोवा ( Vera Pavlova ) रूस की सबसे प्रसिद्द समकालीन कवयित्री हैं. उनका जन्म मॉस्कोमें हुआ था. उन्होंने संगीत की शिक्षा ग्रहण की व संगीत के इतिहास विषय में विशेषज्ञता प्राप्त की. कुछ समय बाद ही उनकी कविताएँ प्रकाशित हुई और उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन का आरम्भ किया. उनके 14 कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं व रूस में उनकी किताबें खूब बिकती हैं. उन्होंने चार ओपेरा लिबेरेतोज़ के लिए संगीत लिखा है व कुछ बोल भी. उनकी कविताएँ 18भाषाओँ में अनूदित की गयी हैं. यह कविता उनके अंग्रेजी में अनूदित संकलन 'देयर इज समथिंग टू डिज़ायर' से है.
इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीवन सेमूर ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

सोमवार, जून 25, 2012

तीसरा स्तोत्र

ग्रीन इयर्ज़ ऑफ़ व्हीट, विन्सेंट वान गोग
Green Ears of Wheat, Vincent Van Gogh
जिस दिन मेरे शब्द
थे धरती...
मैं गेहूँ की बालियों का मित्र था.

जिस दिन मेरे शब्द

क्रोध थे
मैं था बेड़ियों का मित्र.

जिस दिन मेरे शब्द

थे पत्थर
मैं नदी का मित्र था.

जिस दिन मेरे शब्द

विद्रोह थे
मैं था भूकम्पों का मित्र.

जिस दिन मेरे शब्द थे

कड़वे फल
मैं आशावादी का मित्र था.

मगर जब मेरे शब्द

शहद बन गए...
मक्खियों ने 
मेरे होंठ ढँक लिए! 



-- महमूद दरविश 



महमूद दरविश ( Mahmoud Darwish )एक फिलिस्तीनी कवि व लेखक थे जो फिलिस्तीन के राष्टीय कवि भी माने जाते थे. उनकी कविताओं में अक्सर अपने देश से बेदखली का दुःख प्रतिबिंबित होता है. उनके तीस कविता संकलन व आठ किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. अपने लेखन के लिए, जिसका बीस भाषाओँ में अनुवाद भी हो चुका है, उन्हें असंख्य अवार्ड मिले हैं. फिलिस्तीनी लोगों के 'वतन' के लिए संघर्ष के साथ उनकी कविताओं का गहरा नाता है. जबकि उनकी बाद की कविताएँ मुक्त छंद में  लिखी हुईं और कुछ हद तक व्यक्तिगत हैं, वे राजनीती से कभी दूर नहीं रह पाए.
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद बेन बेन्नानी  ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शनिवार, जून 23, 2012

ना होना

क्लाउडज़ ओवर हिल्ज़, फेडोर वसिलियेव
Clouds Over Hills, Fyodor Vasilyev
पर्वतों पर बादल. कौन या क्या दोषी है?
थका-हारा चुपचाप वो आगे की ओर देखता है,
पीछे मुड़ता है, एक कदम उठाता है, झुकता है.
नीचे पत्थर हैं, ऊपर पंछी.
एक मटका रखा है खिड़की में.
खुले मैदान में कांटे हैं. हाथ जेबों में हैं.
तुम मिन्नत करते हो, करते जाते हो.
कविता नहीं आएगी. खाली.
इस को कहने के लिए जो शब्द चाहिए
उस में होना चाहिए थोड़ा खालीपन.




-- ज्यानिस रीत्ज़ोज़ 




ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे.


इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद एडमंड कीली ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

गुरुवार, जून 21, 2012

मैं ट्रेन से उतरा

सेंट लाज़ार स्टेशन, अराइवल ऑफ़ अ ट्रेन,
क्लौद  मोने
Saint-Lazare station, Arrival of a Train,
Claude Monet
मैं ट्रेन से उतरा
और 
उस आदमी को अलविदा कहा  
जिससे मैं मिला था.
हम अठारह घंटे साथ रहे थे 
और हमारे बीच हुई थी सुखद बातचीत,
यात्रा का साथ था,
और मुझे दुःख था ट्रेन से उतरने का, 
खेद था छोड़ के चले आने का 
इस संयोग से बने मित्र को,
जिसका नाम तक मैं नहीं जान पाया.
मैं भीगता महसूस कर रहा था
अपनी आँखों को...
हर विदाई एक मृत्यु है.
हाँ, हर विदाई एक मृत्यु है.
उस ट्रेन में जिसे हम जीवन कहते हैं,
हम सब संयोगिक घटनाएँ हैं
एक-दूसरे के जीवन की ,
और हमें दुःख होता है जब उतरने का समय आता है.

वह सब जो मानवीय है मुझे प्रभावित करता है, क्यूंकि मैं एक मनुष्य हूँ.
वह सब जो मानवीय है मुझे प्रभावित करता है, इसलिए नहीं कि मुझे 
मानवीय भावों या मानवीय मतों से लगाव है 
परन्तु इसलिए कि स्वयं मानवता के साथ मेरा असीम संसर्ग है.

वह नौकरानी जिसका बिलकुल मन नहीं था जाने का,
याद करके रोती है 
उस घर को जहाँ उस के साथ दुर्व्यवहार किया गया...

ये सब, मेरे मन में, है मृत्यु और दुनिया का दुःख.
ये सब जीता है, क्यूंकि वह मरता है, मेरे मन में .

और मेरा मन पूरे ब्रह्माण्ड से बस ज़रा-सा बड़ा है.


-- फेर्नान्दो पस्सोआ ( आल्वरो द कम्पोस )

 

  फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने आल्वरो द कम्पोस ( Álvaro de Campos )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग  जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.

इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

मंगलवार, जून 19, 2012

सलाह

फिशिंग बोट्स ऑन द बीच एट सेंत-मारी-द-ला-मेर,
विन्सेंट वान गोग
Fishing boats on the Beach at
Saintes-Maries-de-la-Mer,
Vincent Van Gogh

मेरी सलाह?
देखते रहो और प्रतीक्षा करो ज्वार के उतरने की --
प्रतीक्षा करो जैसे प्रतीक्षा करती है
रेतीले किनारे पर नाव, बिना किसी विचार के
चाहे अपनी प्रतीक्षा, चाहे अपने प्रयाण के बारे में .
जैसे कि मैं कितनी अच्छी तरह कह लेता हूँ:
' जो सहनशील हैं वे विजयी होते हैं
क्योंकि जीवन दीर्घ है,
और कला केवल एक खिलौना.'

चलो -- ठीक है -- मान लो जीवन छोटा है,
और समुद्र कभी नहीं छूता तुम्हारी नन्ही नाव को --
केवल  प्रतीक्षा करो, और देखते रहो,
और प्रतीक्षा करो,
क्योंकि कला दीर्घ है;
जो भी. सच पूछो तो,
ये सब बिलकुल भी महत्वपूर्ण नहीं है.



-- डान पेटरसन



डान पेटरसन ( Don Paterson ) स्कॉटलैंड के कवि,लेखक  व संगीतकार हैं. वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट एंड्रूज़ में अंग्रेजी पढ़ाते हैं, लन्दन के प्रकाशक 'पिकाडोर' के लिए पोएट्री एडिटर हैं और एक बेहतरीन जैज़ गिटारिस्ट हैं . अपने पहले कविता संकलन 'निल निल' से ही उन्हें पहचाना जाने लगा व अवार्ड मिलने लगे. अपने संकलन ' गाडज़ गिफ्ट टू विमेन ' के लिए उन्हें टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उनके एक और संकलन 'लैंडिंग लाईट ' को विटब्रेड पोएट्री अवार्ड व फिर से टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उन्होंने दूसरी भाषाओँ से अंग्रेजी में बहुत अनुवाद भी किया है जिन में से सबसे उल्लेखनीय स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो व जर्मन कवि रिल्के की रचनाएँ हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों का संपादन किया है, नाटक लिखे हैं व विशेष रूप से रेडियो नाटक लिखे हैं. यह कविता उनके संकलन 'आईज ' से है, जिसे  स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो की कविताओं का अनुवाद भी कहा जा सकता है, या कहा जा सकता है की ये कविताएँ, उनकी कविताओं से प्रेरित हैं.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

रविवार, जून 17, 2012

नया

सनराइज़, यान स्लयुटरज़
Sunrise, Jan Sluyters
आसानी से
आगे बढ़ना.
कहीं और होने की
आवश्यकता ना होना.
किसी भी दुकान से
कुछ भी ना चाहना.
उठाना ऐसी चीज़ को
जो पहले-से पास थी
और उसे दोबारा रखना
नई जगह पर.
जागी हुई आँख का
नयी तरह से देखना.
ये सब क्या करता है
पुराने रक्त को जो बहता रहता है
अपनी वाहिकाओं में? 




-- नाओमी शिहाब नाए 



नाओमी शिहाब नाए ( Naomi Shihab Nye )एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है. यह कविता उनके संकलन " यू एंड युअर्ज़ " से है.  

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शुक्रवार, जून 15, 2012

दिया

पॉल गौगेंज़ आमचेयर, विन्सेंट वान गोग
Paul Gauguin's Chair, Vincent Van Gogh



एक कड़ुआ-सा उनींदापन 
आ जाता है अपने दिए जलाने

क्या मैं अपने प्रेम के पत्र उनकी स्याही को लौटा दूँ?
क्या मैं इन तस्वीरों को फाड़ दूँ?

मैं पढ़ता हूँ अपनी देह अब
और भरता हूँ इस लम्बी रात के दिए को उदासी से 





--  अदुनिस 





Adonis, Griffin Poetry Prize 2011 International Shortlist अली अहमद सईद अस्बार ( Ali Ahmed Said Asbar ), जो 'अदुनिस' ( Adonis )के नाम से लिखते हैं, सिरिया के प्रसिद्ध कवि व लेखक हैं. वे आधुनिक अरबी कविता के पथप्रदर्शक हैं, जिन्होंने पुरानी मान्यताओं से विद्रोह कर कविता के अपने ही नियम बनाये हैं. अब तक अरबी में उनकी 20से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनके अनेक कविता संग्रह अंग्रेजी में अनूदित किये जा चुके हैं. अभी हाल-फिलहाल में, अगस्त माह के आखिरी सप्ताह में ही उन्हें 2011 के  गेटे ( Goethe) पुरुस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें जल्द ही नोबेल प्राइज़ भी मिलेगा , साहित्य जगत में इसकी उम्मीद व अटकलें खूब हैं, वे कई बार नामित भी किये गए हैं. यह कविता उनके 2003 के संकलन 'बिगिनिन्ग्ज़ ऑफ़ द बॉडी, एंडज़ ऑफ़ द सी' से है.
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद खालेद मत्तावा ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

बुधवार, जून 13, 2012

क्या समय नहीं हुआ है

द प्रोमेनाद, मार्क शगाल
The Promenade, Marc Chagall



क्या समय नहीं हुआ है
स्वयं को प्रियतम से मुक्त करने का
जब कि, कांपते हुए, हम भोग रहे हैं प्रेम को?
जैसे तीर सहता है प्रत्यंचा का तनाव
ताकि, छोड़े जाने पर, वह दूर तक जा सके.
क्योंकि ठहरने की कोई जगह नहीं है.




 -- रायनर मरीया रिल्के 




रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह अंश उनकी "दुईनो एलेजीज़ " से है।
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़