![]() |
स्टडी ऑफ़ पाइन ट्रीज़, विन्सेंट वान गोग Study Of Pine Trees, Vincent Van Gogh |
नहीं तुम्हें नहीं चाहा.
मैंने वह चाहा
जो पीछे से चलता आ रहा था.
हमारे लिए
रास्ते खुल जायेंगे.
जीवन ले जायेगा हमें
अपनी प्रकृति के पास.
पुरातन चीड़ के पेड़ तले
हम अपनी परछाइयाँ भूल जायेंगे,
वहीँ छाँव में बैठा छोड़ आयेंगे.
हमारे रास्तों पर
एक नया दिन निकलेगा.
अलग-अलग हैं हमारी परछाइयाँ --
वो गले नहीं मिलती,
ना ही पंछियों की बातों का
जवाब देती हैं.
मैंने कहा था -- याद करना हो
तो परछाई को करना.
-- महमूद दरविश

इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद फादी जूदह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़