शुक्रवार, नवंबर 02, 2012

समुद्र के तल से पत्र

ब्लू विलेज, मार्क शगाल
Blue Village, Marc Chagall
अगर तुम मेरी दोस्त हो...
मदद करो मेरी...कि तुम्हें छोड़ सकूँ
और अगर तुम हो मेरी प्रेमिका...
मेरी मदद करो...कि तुम्हारे रोग से अच्छा हो सकूँ...
अगर मैं जानता...
कि समुद्र बहुत गहरा है...मैंने नहीं की होती तैरने की हिम्मत...
अगर मैं जानता...अंत कैसा होगा,
मैंने नहीं किया होता आरम्भ

तुम्हें चाहता हूँ मैं...तो सिखाओ मुझे ना-चाहना
सिखाओ मुझे...
कहीं गहरे से तुम्हारे प्रेम की जड़ें कैसे काटूँ
सिखाओ मुझे...
कैसे अश्रु आँखों में ही दम तोड़ सकें
और प्रेम कर सके अपनी ही हत्या

अगर तुम पैगम्बर हो,
झाड़ कर हटा दो इस जादू-टोने को मुझसे
बचा लो मुझे इस अनीश्वरवाद से...
तुम्हरा प्रेम अनीश्वरवाद ही तो है...इस अनीश्वरवाद से शुद्ध करो मुझे

अगर तुम में बल है...
बचा लो मुझे इस समुद्र से
क्योंकि मुझे तैरना नहीं आता
वे नीली लहरें...तुम्हारी आँखों की...
खींच ले जाती हैं मुझे...गहराइयों में
नीली...
नीली...
कोई रंग नहीं नीले के सिवा
और मेरे पास नहीं है
प्रेम का अनुभव...और न ही नाव है...

अगर मैं तुम्हें प्रिय हूँ
तो लो मेरा हाथ
क्योंकि मैं सर से पैर तक...
चाह ही चाह हूँ

पानी के नीचे सांस ले रहा हूँ मैं!
डूब रहा हूँ मैं...
डूब रहा हूँ...
डूब रहा हूँ...



-- निज़ार क़ब्बानी



 निज़ार क़ब्बानी ( Nizar Qabbani )सिरिया से हैं व अरबी भाषा के कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है. उनकी सीधी सहज कविताएँ अधिकतर प्यार के बारे में हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे क्रन्तिकारी हैं, तो उन्होंने कहा -- अरबी दुनिया में प्यार नज़रबंद है, मैं उसे आज़ाद करना चाहता हूँ. उन्होंने 16 वर्ष की आयु से कविताएँ लिखनी शुरू कर दी थीं, और उनके 50 से अधिक कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी कविताओं को कई प्रसिद्ध अरबी गायकों ने गया है, जिन में मिस्र की बेहतरीन गायिका उम्म कुल्थुम भी हैं, जिनके गीत सुनने के लिए लोग उमड़ पड़ते थे.यह कविता उनके संकलन "वन हंड्रेड लव लेटर्ज़"से है .

इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद बस्सम के फ्रंगिया ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़