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लैण्डस्केप, पॉल गोगैं Landscape, Paul Gauguin |
जब एक भी पंछी जागा नहीं होता
बारिश आती है ऐसे स्वर के साथ
मानो हवा खूब तेज़ी से बह रही हो
वादी के पेड़ों के बीच से
वह गिरती है हमारे आस-पास
मानों सारी बरसेगी बस एक ही बार में
और जैसे कि उसके पार कुछ है ही नहीं
वह गिरती है स्वयं को बिना सुने
बिना जाने
कि वहाँ कोई है
बिना देखे कि वह कहाँ है
या कहाँ जा रही है
आनंद के हमारे
उस असाधारण पल की तरह
जो हम याद नहीं कर सकते
बारिश बत्तियाँ बुझाए आगे बढ़ती है.
-- डब्ल्यू एस मर्विन

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़