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बर्निंग द डार्क, निकोलाई ररीह Burning the Dark, Nicholas Roerich |
बूढ़ा दुखित पतझड़ बुलाता जा रहा है
अपनी गर्मियों को
घाटी बुलाती जा रही है पर्वत के पार
अन्य घाटियों को
हर सितारा अपने अँधेरे में अकेला गरजता है
पूरी रात में नहीं है किसी आवाज़ की आहट भी
-- डब्ल्यू एस मर्विन

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़