शनिवार, मई 07, 2011

प्यार

द सोअर  (स्टडी ), विन्सेंट वान गोग
The Sower (Study), Vincent Van Gogh
कितनी दूर है मेरी रात
तुम्हारी रात से!
और कितनी और रातें,
ऊंचे पर्वतों-सी, 
उठी हुई हैं इन दोनों के बीच.

मैंने तुम्हारे लिए रास्ता भेजा था,
पर तुम नहीं मिले. 
थक के लौट आया वो मेरे पास.
अपना गीत-हिरन भेजा था. 
पर शिकारियों के निशानों से घायल, 
लौट आया वो मेरे पास.
जाने कौन सी दिशा ली हवा ने,
जंगल में, दर्द की कंदराओं में भटक, 
अंधी होकर
लौट आई वो मेरे पास.

एक निराश बारिश झर रही है.

कल सुबह-सुबह, 
एक इन्द्रधनुष भेजूं क्या?
तुम्हे ढूँढने. 
लेकिन वो, ख़ुशीयों-सा नादान,
एक ही पहाड़ पार कर पायेगा.

मैं स्वयं ही निकलूंगा रात में 
ढूंढूंगा, ढूंढूंगा, ढूंढूंगा, 
जैसे अँधेरे कमरे में हाथ टटोलता है,
ढूंढता है बुझे हुए दिए को.

-- विसार ज्हीटी

  विसार ज्हीटी ( Visar Zhiti )अल्बेनिया के कवि व लेखक हैं. वे कॉलेज में पढ़ाते थे जब उनका पहला कविता संकलन छपने लगा था, और सियासी हालातों की वजह से उनके लेखन को भड़काने वाला साबित कर, उन्हें जेल में बंद कर दिया गया. कागज़-कलम की मनाही थी, और उन्होने 100 से अधिक कवितायेँ रची व याद रखी.13 साल उन्होंने कांसनट्रेशन कैम्प  में यातनाएं सह कर बिताये. उनके कुल 6 कविता-संकलन छपे हैं व उनकी कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद भी हुआ है.
इस कविता का अल्बेनियन से अंग्रेजी में अनुवाद राबर्ट एलसी ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़