सोमवार, सितंबर 03, 2012

कला

द किस, ओग्यूस्त रोदें
The Kiss, Auguste Rodin
अब केवल कला बची है --
हमारी देहें, तूलिका की रेखाएँ, रंगद्रव्य, रूपांकन;
हमारी कहानी, कल्पित, अविश्वास का स्थगन;
हमारे खून की धमक, तालवाद्य;
हमारे दुःख के संगीत के लिए स्वर, सूक्ष्म.

कला, तराशा हुआ, सर्द संगमरमर हमारा चुम्बन;
निशब्द पाषाण के बंदी, हमारे वचन,
या असफल हो बन गए कवितायेँ; छपे पन्ने
रखने के लिए हमारे स्वरों के सूखे सुमन.

प्रेम के पास कोई चुनाव नहीं है
सिवाय कला की लम्बी बीमारी के, मृत्यु के,
जो प्रतिध्वनियाँ हम छोड़ आये थे,
उनके लिए हैं विशाल रंगशालाएँ, तालियाँ,
फिर घुप्प अँधेरा;
हमारी साँसों के भावावेश के लिए भव्य ओपेरा;

और वह तुम्हारे मन में जो थी
ऑस्कर-जीतने वाली फिल्म,
जहाँ गाते थे मेरे प्राण,
वहाँ फटी आवाज़ में अब टरटराती है कला.


-- कैरल एन डफ्फी



 कैरल एन डफ्फी ( Carol Ann Duffy )स्कॉट्लैंड की कवयित्री व नाटककार हैं. वे मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन युनिवेर्सिटी में समकालीन कविता की प्रोफ़ेसर हैं. 2009 में वे ब्रिटेन की पोएट लॉरीअट नियुक्त की गईं. वे पहली महिला व पहली स्कॉटिश पोएट लॉरीअट हैं. उनके स्वयं के कई कविता संकलन छ्प चुके हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों को सम्पादित भी किया है. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक सम्मान व अवार्ड मिल चुके हैं. सरल भाषा में लिखी उनकी कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय हैं व स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी हैं. यह कविता उनके 2005 में छपे संकलन ' रैप्चर ' से है, जिसे टी एस एलीअट प्राइज़ मिला था.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़