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द किस, ओग्यूस्त रोदें The Kiss, Auguste Rodin |
हमारी देहें, तूलिका की रेखाएँ, रंगद्रव्य, रूपांकन;
हमारी कहानी, कल्पित, अविश्वास का स्थगन;
हमारे खून की धमक, तालवाद्य;
हमारे दुःख के संगीत के लिए स्वर, सूक्ष्म.
कला, तराशा हुआ, सर्द संगमरमर हमारा चुम्बन;
निशब्द पाषाण के बंदी, हमारे वचन,
या असफल हो बन गए कवितायेँ; छपे पन्ने
रखने के लिए हमारे स्वरों के सूखे सुमन.
प्रेम के पास कोई चुनाव नहीं है
सिवाय कला की लम्बी बीमारी के, मृत्यु के,
जो प्रतिध्वनियाँ हम छोड़ आये थे,
उनके लिए हैं विशाल रंगशालाएँ, तालियाँ,
फिर घुप्प अँधेरा;
हमारी साँसों के भावावेश के लिए भव्य ओपेरा;
और वह तुम्हारे मन में जो थी
ऑस्कर-जीतने वाली फिल्म,
जहाँ गाते थे मेरे प्राण,
वहाँ फटी आवाज़ में अब टरटराती है कला.
-- कैरल एन डफ्फी

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़