गुरुवार, सितंबर 10, 2015

आज और शायद कल भी



वुमन एट राइटिंग डेस्क, लैसर ऊरी
Woman at Writing Desk, Lesser Uri

सोच से, पश्चाताप से, टूटी और अब तक अनटूटी 
उम्मीद से भरा,
भरा स्मृतियों से, गर्व से, आधिक्य में छलके 
निजी दुःख से, 

शुरू करती हूँ मैं एक और पन्ना, एक और कविता. 

कितने विचारों से भरा होता है दिन! कभी पहनाती हूँ 
मैं उन्हें शब्दों के जामे, कभी 
काफियों के मिलते-जुलते जूते.

क्या ठाठ भरा जीवन है !

जबकि कहीं कोई किसी रोते हुए चेहरे को चूम रहा है. 
जबकि कहीं औरतें जाग रही हैं रात के दो बजे, निकल 
रही हैं घरों से, मीलों दूर चलकर पानी लाने
जबकि कहीं कोई बम फटने के लिए तैयार हो रहा है.



-- मेरी ओलिवर




Mary Oliver मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और  उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन  से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है. 

इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

सोमवार, मई 04, 2015

बुद्ध

मदों में, ओग्यूस्त रोदें के बागीचे में स्थापित बुद्ध
  की प्रतिमा, जिसे देख रिल्के को यह कविता लिखने
की प्रेरणा मिली 
मानो वे सुन रहे हों. मौन: कहीं दूर.…
हम चुप रह कर भी कुछ नहीं सुन पाते.
और वे हैं एक तारा जिन्हें घेरे हैं 
कई विशाल तारे जो हमें दिखाई नहीं देते. 

आह! वे सबकुछ हैं. 
क्या वाकई हमें लगता है कि वे देख पाएँगे हमें? 
क्या उन्हें आवश्यकता भी है?
हम करें साष्टांग उनके चरणों में प्रणाम तब भी 
वे किसी प्राणी की तरह गहन और शांत ही रहेंगे.

क्योंकि जो हमें उनके चरणों में गिरने पर बाध्य करता है 
वह उनके भीतर असंख्य वर्षों से परिक्रमाएँ कर रहा है. 
जो हम भोग रहे हैं, उसे वे भूल चुके हैं 
और जो प्रायः वर्जित हैं हमें, उसे वे जानते हैं.


-- रायनर मरीया रिल्के




 रायनर मरीया 
रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कवितांश 'न्यू पोएम्ज़' से है. 
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद ल्यूक फिशर व लुट्ज़ नफ़ेल्ट ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़