![]() |
टू हैण्डज़ होल्डिंग अ पेयर ऑफ़ बुक्स , एल्ब्रेख्त द्युहरर Two Hands Holding a Pair of Books, Albrecht Durer |
देर से आई हुईं
उन्हीं की शरण लेता हूँ अब
उस आशा का पीछा करते-करते
जो मुझे संकेत करती है
जो प्रतीक्षा करती है
छिप कर पंक्तियों के बीच कहीं
मगर है दृष्टि के लगभग ठीक सामने
ये हाल की,
देर से आई कविताएँ ही हैं
जो बुनी गई हैं उन शब्दों से
जो आए हैं तय कर के पूरा रास्ता
जो हमेशा साथ रहे हैं
-- डब्ल्यू एस मर्विन

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़