रविवार, जुलाई 24, 2011

तुम अभी भी जीवित हो...

पोर्ट्रेट ऑफ़ अ यंग पेजेंट, विन्सेंट वान गोग
Portrait Of A Young Peasant, Vincent Van Gogh

तुम अभी भी जीवित हो, और अभी तक अकेले नहीं हुए --
अपने खाली हाथ लिए, वह अभी भी तुम्हारे पास है,
और एक आनंद पहुंचा देता है तुम दोनों को
धुंध और भूख और तेज़ गिरती बर्फ के बीच से 
अपरिमित मैदानों के पार.

भव्य निर्धनता, राजसी गरीबी!
चैन से रहो उसमें, शांत रहो.
धन्य हैं ये दिन, ये रातें,
और मासूम है यह मेहनत का मीठा संगीत.

दयनीय है वह आदमी 
जो अपनी छाया के कुत्ते से डर कर भागता है,
जिसे एक हवा घुटनों से काट लेती है,
और गरीब है वह जो अपने जीवन का चिथड़ा 
फैलाता है एक छाया से क्षमा की भीख मांगने के लिए.


-- ओसिप मंदेलश्ताम 


Osip Mandelstam ओसिप मंदेलश्ताम ( Osip Mandelstam ) रूसी कवि व निबंधकार थे और विश्व साहित्य में भी उनकी गीतात्मक कविताओं का विशिष्ट स्थान है. वे यहूदी थे और उनका परिवार पोलिश मूल का था, मगर वे सेंट पीटर्सबर्ग में बड़े हुए. स्कूल के समय से ही वे कविता लिखने लगे थे. उन्होंने अपने समकालीन रूसी कवियों के साथ मिल कर 'एक्मेइज़म'  ( Acmeism ) की स्थापना की. 22 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ -- द स्टोन. जब उनकी कविताओं में रूसी क्रांति के दिग्भ्रमित होने का दुःख छलकने लगा, तो स्तालिन ने उन्हें निर्वासित कर दिया. उनके अनेक कविता व निबंध संग्रह प्रकाशित हुए व उनकी कविताओं का खूब अनुवाद भी किया गया है.
इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद क्लेरन्स ब्राउन व डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़