बुधवार, सितंबर 28, 2011

चांदनी में दूर कहीं...

व्हाईट सेलबोट एट शातू , मोरीस द व्लामिंक
White Sailboat At Chatou, Maurice de Vlaminck

चांदनी में दूर कहीं 
नदी पर एक किश्ती 
चुपचाप तैरती हुई.
कौन-सा रहस्य खोलती है?

नहीं जानता मैं, मगर मेरे 
भीतर के जीव को अचानक 
अजीब-सा लगने लगता है,
और मैं सपने देखता हूँ 
बिना उन सपनों को देखे 
जो मैं देख रहा हूँ.

क्या है यह वेदना
जो घेर लेती है मुझे?
क्या है यह प्यार
जो मैं समझा नहीं पाता?
वह किश्ती है जो आगे बढ़ जाती है 
इस रात मैं जो यहीं रह जाती है.


-- फेर्नान्दो पेस्सोआ



 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने अपने ही नाम से लिखी थी, यह बताना ज़रूरी है क्योंकि अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'सोंगबुक 'से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.

इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़