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व्हाईट सेलबोट एट शातू , मोरीस द व्लामिंक White Sailboat At Chatou, Maurice de Vlaminck |
चांदनी में दूर कहीं
नदी पर एक किश्ती
चुपचाप तैरती हुई.
कौन-सा रहस्य खोलती है?
नहीं जानता मैं, मगर मेरे
भीतर के जीव को अचानक
अजीब-सा लगने लगता है,
और मैं सपने देखता हूँ
बिना उन सपनों को देखे
जो मैं देख रहा हूँ.
क्या है यह वेदना
जो घेर लेती है मुझे?
जो घेर लेती है मुझे?
क्या है यह प्यार
जो मैं समझा नहीं पाता?
वह किश्ती है जो आगे बढ़ जाती है
जो मैं समझा नहीं पाता?
वह किश्ती है जो आगे बढ़ जाती है
इस रात मैं जो यहीं रह जाती है.
-- फेर्नान्दो पेस्सोआ

इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़