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आरिस्तीद ब्रुओं ऑन हिज़ बाइसिकल, ओंरी तूलूज़-लौत्रेक Arisitide Bruant on His Bicycle, Henri Toulouse-Lautrec |
जब तुम सोफे पर सो रही थीं
तुम्हारे कान से अपना कान लगा कर
सुनता रहा मैं तुम्हारे सपनों की प्रतिध्वनियाँ.
यही है वह महासागर जिसमें डुबकी लगाना चाहता हूँ मैं,
विलीन हो जाना चाहता हूँ सुन्दर मछलियों में, प्लवक में, समुद्री डाकुओं के जहाज़ों में.
मैं पास जाता हूँ सड़क पर चलते उन लोगों के
जो कुछ-कुछ तुम्हारे जैसे दिखते हैं,
पूछता हूँ उनसे वह सवाल जो मैं तुमसे पूछता.
क्या हम बैठ सकते हैं छत पर और देख सकते हैं तारों को
धुआँरे से निकले धुएँ में घुलते हुए?
तुम्हारी साँसों के जंगल में
क्या मैं टार्ज़न की तरह झूल सकता हूँ?
मैं नहीं चाहता तुम्हारी बाहों में होना.
मैं बस चाहता हूँ कि वह साईकल चला रहा होता
जो जाती तुम्हारी बाहों की ओर.
-- जेफ्फ्री मकडेनिअल

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़