रविवार, जनवरी 27, 2013

अब और नहीं...

ग्लेशियर स्ट्रीम्ज़, जॉन सिंगर सार्जेंट
Glacier Streams, John Singer Sargent

जैसे हिमनदी के एक छिद्र से गिरता है झरना
और उस के स्वाद के दो चेहरे होते हैं, एक आगे
एक पीछे, एक मीठा होता है और एक कठोर,

वैसे ही इन दिनों के हर पल में एक अंतिम बार मरता हूँ मैं,
और एक ओर ये पुरानी आहें अब मुक्त नहीं करतीं मुझे,
और दूसरी ओर लक्ष्य अब और दिखाई नहीं देता.



-- ओसिप मंदेलश्ताम 



Osip Mandelstam ओसिप मंदेलश्ताम  ( Osip Mandelstam )रूसी कवि व निबंधकार थे और विश्व साहित्य में भी उनकी गीतात्मक कविताओं का विशिष्ट स्थान है. वे यहूदी थे और उनका परिवार पोलिश मूल का था, मगर वे सेंट पीटर्सबर्ग में बड़े हुए. स्कूल के समय से ही वे कविता लिखने लगे थे. उन्होंने अपने समकालीन रूसी कवियों के साथ मिल कर 'एक्मेइज़म'  ( Acmeism ) की स्थापना की. 22 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ -- द स्टोन. जब उनकी कविताओं में रूसी क्रांति के दिग्भ्रमित होने का दुःख छलकने लगा, तो स्तालिन ने उन्हें निर्वासित कर दिया. उनके अनेक कविता व निबंध संग्रह प्रकाशित हुए व उनकी कविताओं का खूब अनुवाद भी किया गया है. 

इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद क्लेरन्स ब्राउन व डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़