गुरुवार, जून 30, 2011

हवा और बादल

द लवर्ज़, मार्क शगाल
The Lovers, Marc Chagall
कितनी बार देखा है हमने 
काले घने बादलों की पृष्ठभूमि पर 
हिलते पेड़ों को, 
उनकी नर्म टहनियों को, 
आधी हवा के आगे झुकी हुईं, 
आधी उसे ढकेलती हुई,
हर कली के पास का पत्ता
पाल के तरह हवा में लहराता हुआ,
अँधेरे में से उजाला, 
और धूल में से ऊर्जा निचोड़ता हुआ?

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मैदान में एक आदमी और एक औरत.
बारिश शुरू होती है और वे ओट ढूंढ लेते हैं.
सारी घास एक तरफ को भाग जाती है.
वे गले मिलते हैं. 
एक दूसरे को ऐसे थामते हैं, 
जैसे दोबारा कभी ऐसा नहीं कर पाएंगे.
उनके ऊपर पत्ते खुलते-बंद होते हैं
उस तेज़ बारिश में 
जो जल्द ही आगे बढ़ जाएगी.

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और फिर वह उसकी ओर मुड़ा
और अपने हाथ की पिछली ओर से
उसके गाल को हलके से सहलाया. 
ऐसे जैसे हवा ने सहलाया हो 
किसी सतह को.
जाने वह आदमी बूढा था या युवा था, 
और वह कुछ बोल नहीं पा रही थी, 
शब्द नहीं मिल पा रहे थे उसे, 
क्योंकि कहने को बहुत कुछ था.


-- जॉर्ज सिएरतेश 







जॉर्ज सिएरतेश ( George Szirtes ) कवि व अनुवादक हैं. हालाँकि वे हंगरी से हैं, मगर उनके बचपन में ही, उनका परिवार शरणार्थी बन इंग्लैंड में बस गया था. पहले उनकी कविताएँ पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही, और 31 वर्ष की आयु में उनका पहला संकलन 'द स्लांट डोर ' प्रकाशित हुआ, जिसे  फेबर मेमोरियल प्राइज़ मिला. उसके बाद उनके कई कविता-संग्रह प्रकाशित हुए और उन्हें ' रील ' के लिए 2005 में टी.एस एलियट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उन्होंने हंगेरियन में लिखी कविताओं, उपन्यासों, नाटकों व निबंधों का खूब अनुवाद भी किया है. उनकी स्वयं की कविताओं का अनेक भाषाओँ में अनुवाद हुआ है.
इन तीन लघु कविताओं का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़