मंगलवार, जनवरी 15, 2013

गीत

रिफ्लेक्शंज़, रॉकस, वाटर, जॉन सिंगर सार्जेंट
Reflections, Rocks, Water, John Singer Sargent

गाओ मेरे साथ इसे अब:
एक पत्थर जितना ही जानते हैं हम;
हम आते हैं एक बिसर चुके समुद्र से,
और जाते हैं एक अपरिचित समुद्र में;
इन दोनों के बीच, खड़ा है एक और,
गूढ़ रहस्य.
तीन बक्से जिनमें ईश्वर जाने क्या है,
सब बंद हैं, खुलेंगे एक खो चुकी चाबी से.
रोशनी नहीं फेंकती स्वयं पर कोई रोशनी,
न ही हमारी ये बुद्धिमत्ता की बातें.
वह क्या है जो 'शब्द' हमें कहता है?
क्या कहता है पत्थरों में बहता पानी?


-- डान पेटरसन



 डान पेटरसन ( Don Paterson ) स्कॉटलैंड के कवि,लेखक  व संगीतकार हैं. वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट एंड्रूज़ में अंग्रेजी पढ़ाते हैं, लन्दन के प्रकाशक 'पिकाडोर' के लिए पोएट्री एडिटर हैं और एक बेहतरीन जैज़ गिटारिस्ट हैं . अपने पहले कविता संकलन 'निल निल' से ही उन्हें पहचाना जाने लगा व अवार्ड मिलने लगे. अपने संकलन ' गाडज़ गिफ्ट टू विमेन ' के लिए उन्हें टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उनके एक और संकलन 'लैंडिंग लाईट ' को विटब्रेड पोएट्री अवार्ड व फिर से टी एस एलीअट प्राइज़ प्राप्त हुआ. उन्होंने दूसरी भाषाओँ से अंग्रेजी में बहुत अनुवाद भी किया है जिन में से सबसे उल्लेखनीय स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो व जर्मन कवि रिल्के की रचनाएँ हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों का संपादन किया है, नाटक लिखे हैं व विशेष रूप से रेडियो नाटक लिखे हैं. यह कविता उनके संकलन 'आईज ' से है, जिसे  स्पेनिश कवि अंतोनियो मचादो की कविताओं का अनुवाद भी कहा जा सकता है, या कहा जा सकता है की ये कविताएँ, उनकी कविताओं से प्रेरित हैं.


इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़