शनिवार, फ़रवरी 14, 2015

तुम्हारा नाम है...

वुमन विद अ रोज़ , पिएर-ओग्यूस्त रनोआ
Woman with a Rose, Pierre-Auguste Renoir
तुम्हारा नाम है -- मेरे हाथ में एक पंछी,
जीभ पर रखा बर्फ का टुकड़ा.
होंठों का झट खुल जाना. 
तुम्हारा नाम -- चार अक्षर.
हवा में लपकी गई गेंद,
मेरे मुंह में बजती चाँदी की घंटी.

किसी शांत झील में फेंका गया कंकड़ 
है --  तुम्हारे नाम का स्वर. 
रात को घोड़े के टापों की हल्की आवाज़ 
-- तुम्हारा नाम 
मेरी कनपटी पर तुम्हारा नाम 
-- तानी हुई पिस्तौल के घोड़े का तीव्र स्वर.

तुम्हारा नाम -- असंभव --
चुम्बन मेरी आँखों पर,
बंद पलकों की ठंडक.
तुम्हारा नाम -- बर्फ का चुम्बन.
बर्फीले झरने के पानी का नीला घूँट 
तुम्हारे नाम से -- नींद गहरी हो जाती है.


-- मारीना स्व्ताएवा




 मारीना स्व्ताएवा ( Marina Tsvetaeva ) बहुत प्रसिद्द रूसी लेखिका व कवयित्री थीं और उनको 20 वीं सदी के बेहतरीन रूसी साहित्यकारों में गिना जाता है. 18 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन 'ईवनिंग एल्बम' प्रकाशित हुआ. वे रूसी क्रांति व उसके बाद मास्को में पड़े अकाल के समय वहीँ थी. क्योंकी वे क्रांति के खिलाफ थी उन्हें निर्वासित कर दिया गया. कई साल वे अपने परिवार के साथ गरीबी की हालत में पेरिस, बेर्लिन्र व प्राग में रहीं. मास्को लौटने के बाद भी उन्हें शक की नज़र से देखा जाता रहा व उनके परिवार को कसी न किसी कारण से सताया जाता रहा, उनकी बेटी कई वर्ष जेल में रहीं, व पति को मार डाला गया. बिना किसी आर्थिक सहारे के व नितांत अकेलेपन में, उन्होंने आत्महत्या कर ली. यह कविता 'पोएम्ज फॉर ब्लोक' से ली गई है

इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद इल्या कमिन्स्की और जीन वैलेंटाइन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़