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अ ड्रीम, ओंरी मातीस A Dream, Henri Matisse |
नींद में प्रेम हुआ,
उठी तो आँख में आँसू थे:
इतना नहीं चाहा है किसी को कभी,
इतना नहीं चाहा है मुझे किसी ने कभी.
नहीं था समय एक चुम्बन का भी
न ही पूछने के लिए उसका नाम.
अब मैं काटती हूँ
जाग कर रातें
देखती हूँ स्वप्न उसके.
-- वेरा पाव्लोवा

इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीवन सेमूर ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़