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सनसेट, डियर एंड रिवर, अल्बर्ट बियरशटाट Sunset, Deer and River, Albert Bierstadt |
जैसे तुमने पहले कभी ना सोचा हो.
अगर फ़ोन की घंटी बजे,
तो सोचो की तुम्हारे लिए कोई सन्देश आया है
जो तुमने कभी ना सुना हो उस से भी बड़ा
यीट्स की सौ पंक्तियों से भी बृहत्.
सोचो कि कोई तुम्हारे द्वार पर
एक भालू ले आये
शायद घायल और पागल;
या सोचो कि एक हिरन
झील में से उभरा है,
और अपने सींगों पर लिए चल रहा है
तुम्हारा अपना ही बच्चा जिसे तुमने कभी नहीं देखा.
जब कोई द्वार खटखटाता है,
सोचो कि वह तुम्हें देने वाला है
कुछ बहुत बड़ा: तुम्हें बताने वाला है कि तुम्हें माफ़ कर दिया गया,
या कि हर समय काम करना आवश्यक नहीं है,
या कि फैसला हो चुका है कि अगर तुम लेट जाओगे, कोई मर नहीं जायेगा.
-- रोबर्ट ब्लाए

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़