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ओक, इवान शिशकिन Oak, Ivan Shishkin |
भीगे-भीगे सितम्बर में
जब पत्ते नीचे अंधेरों को छूने लगते हैं
मैं अपना माथा समुद्री शैवाल की गंध वाली
जब पत्ते नीचे अंधेरों को छूने लगते हैं
मैं अपना माथा समुद्री शैवाल की गंध वाली
गीली रेत पर रख देता हूँ.
चुनने के सिवाय हम कर भी क्या सकते हैं?
मानव के लिए एक अकेला रास्ता
चुनाव का ही तो है.
फर्न के पास जीने के सिवाय कोई चारा नहीं;
इस अपराध के लिए उसे मिलते हैं
मिटटी पानी और रात.
मानव के लिए एक अकेला रास्ता
चुनाव का ही तो है.
फर्न के पास जीने के सिवाय कोई चारा नहीं;
इस अपराध के लिए उसे मिलते हैं
मिटटी पानी और रात.
हम दरवाज़ा बंद कर देते हैं.
" मेरा तुम पर कोई हक़ नहीं है. "
" मेरा तुम पर कोई हक़ नहीं है. "
सांझ आती है.
" मैंने तुम से जो प्यार पाया है काफी है. "
" मैंने तुम से जो प्यार पाया है काफी है. "
हम जानते हैं कि हम दुनिया से अलग रह सकते हैं.
एक बतख़ होती है जो झुण्ड से अलग तैरती है.
ओक का पेड़
निर्जन पहाड़ी पर अकेला पत्ते निकालता है.
निर्जन पहाड़ी पर अकेला पत्ते निकालता है.
हमसे पहले ऐसा कर दिखाया है
स्त्रियों और पुरुषों ने.
साल में एक बार मैं तुम्हें मिलूँगा और तुम मुझे.
हम दो बीज होंगे पर बोये नहीं जायेंगे.
हम कमरे में रहते हैं दरवाज़ा बंद बत्ती बंद कर के.
मैं तुम्हारे साथ रोता हूँ बिना लाज बिना मान के.
--- रोबर्ट ब्लाए

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़