बुधवार, सितंबर 14, 2011

भीगे-भीगे सितम्बर में

ओक, इवान शिशकिन
Oak, Ivan Shishkin

भीगे-भीगे सितम्बर में
जब पत्ते नीचे अंधेरों को छूने लगते हैं
मैं अपना माथा समुद्री शैवाल की गंध वाली
गीली रेत पर रख देता हूँ.
चुनने के सिवाय हम कर भी क्या सकते हैं?
मानव के लिए एक अकेला रास्ता
चुनाव का ही तो है.
फर्न के पास जीने के सिवाय कोई चारा नहीं;
इस अपराध के लिए उसे मिलते हैं
मिटटी पानी और रात.

हम दरवाज़ा बंद कर देते हैं.
" मेरा तुम पर कोई हक़ नहीं है. "
सांझ आती है.
" मैंने तुम से जो प्यार पाया है काफी है. "
हम जानते हैं कि हम दुनिया से अलग रह सकते हैं.
एक बतख़ होती है जो झुण्ड से अलग तैरती है.
ओक का पेड़
निर्जन पहाड़ी पर अकेला पत्ते निकालता है.

हमसे पहले ऐसा कर दिखाया है
स्त्रियों और पुरुषों ने.
साल में एक बार मैं तुम्हें मिलूँगा और तुम मुझे.
हम दो बीज होंगे पर बोये नहीं जायेंगे.
हम कमरे में रहते हैं दरवाज़ा बंद बत्ती बंद कर के.
मैं तुम्हारे साथ रोता हूँ बिना लाज बिना मान के.



--- रोबर्ट ब्लाए




 रोबर्ट ब्लाए ( Robert Bly ) अमरीकी कवि,लेखक व अनुवादक हैं. 36 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ, मगर उस से पहले साहित्य पढ़ते समय उन्हें फुलब्राईट स्कॉलरशिप मिला और वे नोर्वे जाकर वहां के कवियों की कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी में करने लगे. वहीं पर वे दूसरी भाषाओँ के अच्छे कवियों से दो-चार हुए - नेरुदा, अंतोनियो मचादो, रूमी, हाफिज़, कबीर, मीराबाई इत्यादि. अमरीका में लोग इन कवियों को नहीं जानते थे. उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हुए और उन्होंने खूब अनुवाद भी किया है. अमरीका के वे लोकप्रिय कवि हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा में उनके लिखे 80,000 पन्नों की आर्काइव है, जो उनका लगभग पचास वर्षों का काम है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़