बुधवार, दिसंबर 26, 2012

संतुलन

इन द वाइल्ड नार्थ, इवान शिशकिन
In the Wild North, Ivan Shishkin
मैं ऊपर से देखता रहा उत्तरी ध्रुव का प्राकृतिक दृश्य
और सोचता रहा शून्य, सुहावने शून्य के बारे में.
मैंने देखे बादलों के सफ़ेद शामियाने और विशाल धवल
विस्तार, जहाँ नहीं थे किसी भेड़िये के पंजों के निशान भी.

मैंने तुम्हारे बारे में सोचा और सोचा इस खालीपन के बारे में
जो केवल एक ही चीज़ देने का वायदा कर सकता है: विपुलता --
और यह कि सुख के आधिक्य से जो फूट पड़ता है
वह होता है एक विशेष तरह का हिमाच्छादित उजाड़.

जब उतरने को था हमारा जहाज़,
बादलों के बीच से असुरक्षित-सी धरती उभर आई,
अपने मालिकों द्वारा भुलाये गए हास्यास्पद बगीचे,
जाड़े और हवा से त्रस्त पीली मुरझाई घास.

मैंने अपनी किताब गोद में रख दी और पल भर के लिए
अनुभव किया स्वप्न और जागृति के बीच पूर्ण संतुलन.
मगर जब जहाज़ ने कंक्रीट को छुआ, फिर
बहुत ध्यान से काटे हवाई अड्डे की भूलभुलैया के चक्कर,

मैं एक बार फिर शून्य को जान गया. फिर  छा गया
रोज़मर्रा की भटकन का अँधेरा, दिन का मीठा अँधेरा,
उस आवाज़ का अँधेरा जो गिनती है, नापती है
याद रखती है, भूल जाती है.



-- आदम ज़गायेव्स्की




 आदम ज़गायेव्स्की पोलैंड के कवि, लेखक, उपन्यासकार व अनुवादक हैं. वे क्रैको में रहते हैं मगर इन दिनों वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो में पढ़ाते हैं. वहां एक विषय जो वे पढ़ाते हैं वह है उनके साथी पोलिश कवि चेस्वाफ़ मीवोश की कविताएँ. उनके अनेक कविता व निबंध संकलन छ्प चुके हैं, व अंग्रेजी में उनकी कविताओं व निबंधों का अनुवाद भी खूब हुआ है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रजी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़