शनिवार, अगस्त 04, 2012

मेरी चाह के बाहर...

वुमंज़ हेड, अमादेओ मोदिग्लियानी
Woman's Head, Amadeo Modigliani


मेरी चाह के बाहर
तुम्हारा कोई जीवन नहीं है
मैं तुम्हारा समय हूँ
मेरी बाहों के घेरे के बाहर
तुम्हारा कोई अर्थ नहीं है.
तुम्हारे सभी आयाम मैं ही हूँ,
तुम्हारे कोने और तुम्हारे वृत्त,
तुम्हारे वक्र और रेखाएँ.
जिस दिन  तुमने प्रवेश किया था
मेरी छाती के जंगलों में,
तुम ने अबद्धता में प्रवेश किया था.
जिस दिन तुम चली गईं,
तुम कबीले के सरदार द्वारा खरीदी हुई
दासी बन गई.





-- निज़ार क़ब्बानी






 निज़ार क़ब्बानी ( Nizar Qabbani )सिरिया से हैं व अरबी भाषा के कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है. उनकी सीधी सहज कविताएँ अधिकतर प्यार के बारे में हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे क्रन्तिकारी हैं, तो उन्होंने कहा -- अरबी दुनिया में प्यार नज़रबंद है, मैं उसे आज़ाद करना चाहता हूँ. उन्होंने 16 वर्ष की आयु से कविताएँ लिखनी शुरू कर दी थीं, और उनके 50 से अधिक कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी कविताओं को कई प्रसिद्ध अरबी गायकों ने गया है, जिन में मिस्र की बेहतरीन गायिका उम्म कुल्थुम भी हैं, जिनके गीत सुनने के लिए लोग उमड़ पड़ते थे.यह कविता उनके संकलन "अरेबियन लव पोएम्ज़ "से है .
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद बस्सम के फ्रंगिया ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़