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लवर्स ऑन द ग्रास, अलोइस कैलवोदा Lovers on the Grass, Alois Kalvoda |
प्यार समय का भिखारी है, मगर
चमकते सिक्के-सा गिरा एक घंटा भी,
प्यार को अमीर कर देता है.
हम दोनों को एक साथ एक घंटा मिलता है,
उसे फूलों पर या वाइन पर नहीं खर्चते हम,
बल्कि खर्चते हैं गर्मियों के पूरे आकाश पर
और एक घास-भरे गड्ढे पर.
हज़ारों पलों के लिए चूमते हैं हम एक-दूसरे को,
तुम्हारे बाल किसी खजाने-से बिखरे हुए हैं ज़मीन पर,
रोशनी का पारस तुम्हारे अंगों को सोना कर रहा है.
समय की चाल धीमी हो जाती है,
चूंकि अब बहुत धनी हैं हम, बहुत धनी,
रात को एक हाथ से पीछे धकेलते हैं
ताकि कोई अँधेरा,
हमारे घंटे भर के रोशन साथ का अंत न कर दे.
यह जो तुम्हारे कान के पास घास की पत्ती पर
किसी कीड़े की उगली झाग-सी लटकी है,
कोई गहना इसके आगे क्या लगेगा,
तुम यहाँ-से जैसे दिखते हो,
कोई दीपमाला, कोई उजाला,
तुम्हें उस से और रोशन क्या देखेगा अब.
समय प्यार से नफरत करता है ,
चाहता है कि प्यार निर्धन हो,
मगर प्यार सोना, सोना, सोना
बुनता है सूखी घास से.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़