शुक्रवार, फ़रवरी 08, 2013

लहर

स्प्रिंग. क्रेंज़ फ्लाइंग, आइसाक लेवितान
Spring, Cranes Flying, Isaac Levitan
समुद्र नहीं होना चाहता तरंगित.
हवा बहना नहीं चाहती.
सबकुछ संतुलन चाहता है, शान्ति चाहता है
और शान्ति की खोज में शान्ति कहाँ है.
अगर आप यह समझ पाते हैं, तो क्या बदल
जाता है कुछ? क्या आप हो सकते हैं
वहाँ भी शान्त जहाँ कोई शान्ति नहीं?
फिर से, प्रश्न. उत्तर,
हमेशा की तरह, कम ही हैं.
लहर उठती है, गिरती है
पंछियों का एक झुण्ड उड़ता है
उत्तर-पूर्व क्षितिज के नीचे-नीचे
यह भी एक लहर है.
लहरों में ही उठते हैं विचार भी.

-- यान काप्लिन्स्की


यान काप्लिन्स्की ( Jaan Kaplinski )एस्टोनिया के कवि, भाषाविद व दार्शनिक हैं व यूरोप के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. वे अपने स्वतंत्र विचारों व वैश्विक सरोकारों के लिए जाने जाते हैं. उनके कई कविता-संग्रह, कहानियां, लेख व निबंध प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने कई भाषाओँ से कई भाषाओँ में अनुवाद किये है व उनके स्वयं के लेखन का भी कई भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन 'समरज़ एंड स्प्रिंगज़' से है.
इस कविता का मूल एस्टोनियन से अंग्रेजी में अनुवाद फियोना सैम्प्सन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़