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यंग एप्पल ट्री, प्योतोर कोंचालोव्सकी Young Apple Tree, Pyotr Konchalovsky |
यह क्षण,
सपाट
लकड़ी के तख्ते-सा
यह घड़ी
निर्मल,
नए पात्र-सा
स्वच्छ
यह दिन
नहीं है अस्तित्व --
अतीत के
किसी मकड़जाल का --
अपनी उँगलियों से
हम सहलाते हैं
वर्तमान को;
अपने कद के हिसाब से
काटते है हम उसे;
हम करते हैं संचालित
उसकी कोंपलों का खुलना.
वह जीवित है,
सजीव --
उसमें
हमारे ठीक न हो सकने वाले
अतीत का
हमारे खो चुके अतीत का
कुछ भी नहीं है,
वह है हमारा
बच्चा,
ठीक इसी क्षण
बढ़ता हुआ, धूल से
सजा, हमारे हाथ से
ले-लेकर खाता.
लपक लो उसे.
हाथ से जाने न दो.
उसे स्वप्नों और शब्दों
में गवाँ मत देना.
जकड़ लो उसे.
बाँध लो, और
बात मानने की
आज्ञा दो उसे.
उसे बनाओ एक सड़क,
एक घन्टा,
एक मशीन,
एक चुम्बन, एक किताब,
एक प्रेम-स्पर्श.
उसकी मीठी
लकड़ी की-सी खुशबू को
आरी से काटो.
और बनाओ एक कुर्सी;
उसकी पीठ की निवाड़
बुनो;
परखो उसे.
या फिर, बनाओ
एक सोपान!
हाँ, एक
सोपान.
ऊपर चढ़
आओ
वर्तमान में,
एक-एक
सीढ़ी,
रखो पैर
इस पल की
गंधराल वाली लकड़ी पर,
ऊपर जाओ,
ऊपर जाओ,
बहुत ऊपर नहीं,
बस इतना
कि टपकती छत को
ठीक कर पाओ.
स्वर्ग तक न चले जाना कहीं.
हाथ बढ़ाना
लटकते सेबों की ओर,
बादलों की ओर नहीं.
उन्हें फूल-फूल के
गुजरने दो आकाश के पार.
अतीत की ओर जाते रास्ते को
छूते हुए निकल जाने दो.
तुम
ही हो
अपना वर्तमान,
अपना ही सेब हो.
अपने पेड़ से
चुन लो उसे.
हाथ में लेकर
उठाओ उसे.
जैसे हो सितारों से जड़ा
कैसे चमक रहा है.
अधिकार जमाओ उस पर.
दांत से काटो वर्तमान का
एक बड़ा-सा टुकड़ा,
और अपनी नियति के पथ पर
गुनगुनाते हुए चलते चलो.
-- पाब्लो नेरुदा

इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीफन टैपस्काट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़