सोमवार, मार्च 04, 2013

वर्तमान का गीत

यंग एप्पल ट्री, प्योतोर कोंचालोव्सकी
Young Apple Tree, Pyotr Konchalovsky
वर्तमान का
यह क्षण,
सपाट
लकड़ी के तख्ते-सा
यह घड़ी
निर्मल,
नए पात्र-सा
स्वच्छ
यह दिन
नहीं है अस्तित्व --
अतीत के
किसी मकड़जाल का --
अपनी उँगलियों से
हम सहलाते हैं
वर्तमान को;
अपने कद के हिसाब से
काटते है हम उसे;
हम करते हैं संचालित
उसकी कोंपलों का खुलना.
वह जीवित है,
सजीव --
उसमें
हमारे ठीक न हो सकने वाले
अतीत का
हमारे खो चुके अतीत का
कुछ भी नहीं है,
वह है हमारा
बच्चा,
ठीक इसी क्षण
बढ़ता हुआ, धूल से
सजा, हमारे हाथ से
ले-लेकर खाता.
लपक लो उसे.
हाथ से जाने न दो.
उसे स्वप्नों और शब्दों
में गवाँ मत देना.
जकड़ लो उसे.
बाँध लो, और
बात मानने की
आज्ञा दो उसे.
उसे बनाओ एक सड़क,
एक घन्टा,
एक मशीन,
एक चुम्बन, एक किताब,
एक प्रेम-स्पर्श.
उसकी मीठी
लकड़ी की-सी खुशबू को
आरी से काटो.
और बनाओ एक कुर्सी;
उसकी पीठ की निवाड़
बुनो;
परखो उसे.
या फिर, बनाओ
एक सोपान!

हाँ, एक
सोपान.
ऊपर चढ़
आओ
वर्तमान में,
एक-एक
सीढ़ी,
रखो पैर
इस पल की
गंधराल वाली लकड़ी पर,
ऊपर जाओ,
ऊपर जाओ,
बहुत ऊपर नहीं,
बस इतना
कि टपकती छत को
ठीक कर पाओ.
स्वर्ग तक न चले जाना कहीं.
हाथ बढ़ाना
लटकते सेबों की ओर,
बादलों की ओर नहीं.
उन्हें फूल-फूल के
गुजरने दो आकाश के पार.
अतीत की ओर जाते रास्ते को
छूते हुए निकल जाने दो.

तुम
ही हो
अपना वर्तमान,
अपना ही सेब हो.
अपने पेड़ से
चुन लो उसे.
हाथ में लेकर
उठाओ उसे.
जैसे हो सितारों से जड़ा
कैसे चमक रहा है.
अधिकार जमाओ उस पर.
दांत से काटो वर्तमान का
एक बड़ा-सा टुकड़ा,
और अपनी नियति के पथ पर
गुनगुनाते हुए चलते चलो.



-- पाब्लो नेरुदा



  पाब्लो नेरुदा ( Pablo Neruda ) को कौन नहीं जानता. वे चिली के कवि थे.कोलंबिया के महान उपन्यासकार गेब्रिअल गार्सिया मार्केज़ ने उन्हें ' 20 वीं सदी का, दुनिया की सभी भाषाओँ में से सबसे बेहतरीन कवि ' कहा है. 10वर्ष की आयु में उन्होंने कविताएँ लिखनी शुरू की. 19वर्ष की आयु में उनका पहला संकलन 'क्रेपेस्क्युलारियो ' प्रकाशित हुआ और उसके बाद उनकी प्रसिद्द प्रेम कविताएँ ' ट्वेंटी पोएम्ज़ ऑफ़ लव एंड अ सोंग ऑफ़ डेसपैर '. दोनों संकलन खूब सराहे गए और दूसरी भाषाओँ में अनूदित लिए गए. उनकी प्रेम कविताओं की तो सहस्रों प्रतियाँ आज तक बिक चुकी है. उनके पूरे लेखन काल में उनकी 50से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई और अनेक भाषाओँ में असंख्य अनुवाद हुए. 1971में उन्हें नोबेल प्राइज़ भी प्राप्त हुआ. 

इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीफन टैपस्काट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़