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हेड ऑफ़ लोरेट, ऑनरी मातीस Head of Lorette, Henri Matisse |
मेरे खाली हाथ भारी हो गए हैं,
जैसे होते थे तब जब तुम्हें थामती थी
एक पीड़ की तरह; अप्रत्याशित,
हालाँकि अब मेरी आँखें भीतर देखती हैं एकटक
वहीँ जहाँ होते थे तुम, मेरे सितारे, मेरे सितारे;
और मैं योग्य नहीं थी, तुम थे, जिसके पास सब है
उसके लिए, उचित चुनाव, मेरे मन को
नम्रता से भरते; अनचाहा था, मेरी अंतर्मन की
आवाज़ के पास
आभारी होने के लिए शब्दों का ना होना;
असाधारण है कैसे वह, मानो प्रदत्त,
बढ़ती है भरने के लिए
एक दिन, एक रात, एक सप्ताह, एक माह,
सिखाती अपने सूत्र,
यह प्रेम की कुंवारी जुड़वाँ बहन,
मेरा सर झुका है,
और मैं सीख रही हूँ, सीख रही हूँ; समझ गयी.
-- कैरल एन डफ्फी

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़