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मैलर्डज़ एंड मून, ओहारा कोसोन Mallards and Moon, Ohara Koson |
तुम्हें नहीं है आवश्यकता प्रायश्चित करने के लिए
रेगिस्तान में घुटनों के बल सौ मील चलने की.
तुम्हें केवल करने देना है प्रेम अपनी देह के नर्म
जीव को, उस से जिसे वह प्रेम करता है.
मुझे बताओ अपनी निराशा के बारे में
और मैं तुम्हें अपनी के बारे में बताउंगी.
इस बीच दुनिया आगे बढ़ रही है.
इस बीच सूर्य और बारिश के पारदर्शी पत्थर
चलते जा रहे हैं भूदृश्यों के पार,
घास के मैदानों और गहरे पेड़ों के ऊपर से,
पर्वतों और नदियों पर से.
इस बीच, बहुत ऊपर स्वच्छ नीली हवा में,
जंगली बतखें फिर देश लौट रही हैं.
जो भी तुम हो, चाहे कितने भी अकेले,
स्वयं को भेंट करता है यह संसार
तुम्हारी कल्पना को,
इन जंगली बतखों की तरह बुलाता है तुम्हें,
एक कर्कश और उत्तेजित स्वर में,
बार-बार, बताता है तुम्हें तुम्हारा स्थान
इन सब चीज़ों के परिवार में.
-- मेरी ओलिवर

इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़