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ग्रीन लवर्स, मार्क शगाल Green Lovers, Marc Chagall |
अगर कुछ चाहने को है,
तो होगा कुछ पछताने को.
अगर कुछ पछताने को है,
तो होगा कुछ याद करने को.
अगर कुछ याद करने को है,
तो पछताने को कुछ नहीं था.
अगर पछताने को कुछ नहीं था,
तो चाहने को कुछ नहीं था.
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हौले-से एक कोमल-सी सतह पर
मेरी सबसे अच्छी पंक्तियाँ लिख जाती हैं :
मेरी जिह्वा की नोक से तुम्हारे तालू पर,
छोटे-छोटे अक्षरों में तुम्हारी छाती पर,
तुम्हारे पेट पर...
मगर, प्रिय, मैंने उन्हें लिखा
बहुत हलके से !
क्या मैं अपने होंठों से मिटा दूँ
तुम्हारा विस्मयादिबोधक चिन्ह ?
-- वेरा पाव्लोवा

इन कविताओं का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीवन सेमूर ने किया है.
इन कविताओं का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़