शुक्रवार, नवंबर 25, 2011

असंख्य जीवन

टू सेल्फ पोर्ट्रेट्स एंड सेवेरल डीटेल्ज़, विन्सेंट वान गोग
Two Self Portraits and Several Details, Vincent Van Gogh

असंख्य जीवन बसते हैं हम में.
मैं नहीं जानता, 
जब मैं सोचता हूँ या महसूस करता हूँ,
वह कौन है जो सोचता या महसूस करता है.
मैं केवल वह स्थान हूँ 
जहाँ पर चीज़ें सोची या महसूस की जाती हैं.

एक से अधिक प्राण है मुझ में.
मुझ से भी अधिक मैं.
मैं विद्यमान हूँ, फिर भी, 
हूँ उन सब से उदासीन.
उन्हें मौन कर देता हूँ : मैं बोलता हूँ.

मैं क्या महसूस करता हूँ क्या नहीं
इसकी विरोधी प्रेरणाएं जूझती हैं 
जो मैं हूँ उस में, मगर 
मैं उन्हें अनदेखा कर देता हूँ. 
वे निर्धारित नहीं कर पाती उस मैं को 
जिसे मैं जानता हूँ: मैं लिखता हूँ.


-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)


 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने रिकार्दो रेइस ( Ricardo Reis )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग  जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'ओड्ज़' से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़