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द विलेज, मॉरीस द व्लैमिंक The Village, Maurice de Vlaminck |
सूखी घास की सुगंध और एक सफ़ेद बगुला
हिचकिचाता हुआ-सा एक खेत के पार उड़ता है.
जो मर चुके हैं उन्हें छुपाना हमें आता है.
हम उन्हें मारना नहीं चाहते.
मगर उजाले के प्रबल पल
बच निकलते हैं हमारे मन्त्रों से.
मेरे कमरे में सपनों का ढेर लगा हुआ है
जैसे किसी घुटन भरी पूर्वी दूकान में
लगा होता है कालीनों का ऊँचा ढेर और
अब नई कविताओं के लिए कोई स्थान नहीं है.
छोटी हिरनिया अब भाग नहीं जाती,
भविष्यवाणी करने का प्रयास करती है.
अब कोई देवताओं की भक्ति नहीं करता.
एक क्रुद्ध प्रार्थना अधिक सशक्त है.
नीम्बू के फूल. एक खुला घाव.
निम्नस्थ कस्बों से ऊपर धुआँ उठता है
और एक शान्ति हमारे घरों में प्रवेश करती है;
हमारे घर पूर्णता से भर जाते हैं.
-- आदम ज़गायेव्स्की

इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रजी में अनुवाद क्लेयर कवान्नाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़