सोमवार, नवंबर 07, 2011

रात के अँधेरे में

फ्रेंच विंडो एट कोलियूर, ओंरी मातीस
French Window At Collioure, Henri Matisse

रात के अँधेरे में 
तुम्हारी छाया में सरक आना.
पीछा करना 
तुम्हारे क़दमों का, 
खिड़की में तुम्हारी छाया का. 
वो जो खिड़की में छाया है, वो तुम हो
वो कोई और नहीं है, तुम ही हो.
मत खोलो उस खिड़की को
जिसके पर्दों के पीछे तुम हिलती हो.
आँखें बंद कर लो.
मैं चाहता हूँ उन्हें अपने होंठों से बंद करना. 
मगर खिड़की खुल जाती है और हवा, हवा 
जो ना जाने कैसे 
संभाल लेती है, लौ और ध्वज, दोनों को 
अपने आवरण से रोक लेती है
मेरे भाग निकलने का रास्ता.
खिड़की खुल जाती है: तुम नहीं हो.

मैं यह पहले-से जानता था.


-- रोबेर देज़्नोस


रोबेर देज़्नोस ( Robert Desnos )फ्रेंच स्यूरेअलीस्त कवि थे व स्यूरेअलीज़्म के स्थापकों में से एक थे. वे पेरिस में ही पले-बढे,17 वर्ष की आयु में उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई और 22 वर्ष की आयु में पहली किताब. 'पेरिस-सोआर' नाम के अख़बार में वे साहित्यिक स्तम्भ लिखने लगे व आंद्रे ब्रेतों व पॉल एलुआर जैसे जाने-माने कवियों के साथ उतने-बैठने लगे. वे उस अतियथार्थवादी ग्रुप के महत्त्वपूर्ण सदस्य बन गए मगर जब वे लोग साम्यवाद के पक्ष में हो गए, देज़्नोस ने उनका साथ छोड़ दिया. वे स्तम्भ लिखते रहे. 26 वर्ष की आयु में उन्होंने एकांत पर एक छंद-बद्ध गीतकाव्य लिखा " द नाईट ऑफ़ लवलेस नाईट्स" जो बोदेलेर की याद दिलाता है . वे जैज़ संगीत व सिनेमा पर लेख लिखते रहे, उनका परिचय पिकासो और हेमिंग्वे जैसे लेखकों-चित्रकारों से होता रहा. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब जर्मनी ने पेरिस पर कब्ज़ा कर लिया था, वे फ़्रांसीसी प्रतिरोध  ( Resistance) के लिए काम करते रहे, दूसरे नामों से लेख लिखते रहे और एक दिन गस्तापो द्वारा गिरफ्तार कर कंसेन्ट्रेशन कैंप में भेज दिए गए, जहाँ  कैंप के रिहाई से एक हफ्ते पहले ही उनकी मृत्यु हो गयी. उनकी कैद के दौरान लिखी कविताएँ गलती से नष्ट हो गयी. उनके कई कविता संकलन प्रकाशित हुए व कई कविताओं का अनुवाद भी हुआ.

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़