मंगलवार, दिसंबर 04, 2012

एक बेंच पर बैठी गहरी उदासी

एचिंग -- मैन एंड पार्क बेंच, एडवर्ड हॉपर
Etching -- Man and Park Bench, Edward Hopper
चौक के पास बेंच पर
बैठा एक आदमी
बुलाता है तुम्हें जब निकलते हो तुम वहाँ से
पुराना-सा मटमैला सूट पहने
चश्मा लगाये
वह
बैठा है सिगरेट पीता हुआ
और वह बुलाता है तुम्हें 
जब निकलते हो तुम वहाँ से
या करता है केवल संकेत 
उसे देखना मत
उसकी मत सुनना
बच के निकल जाना
मानो उसे देखा ही न हो   
जैसे
सुनी ही न हो उसकी आवाज़
जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाना
अगर तुम ने उसे देख लिया
अगर तुम ने
सुन ली उसकी आवाज़
वह संकेत करेगा तुम्हारी ओर
और उस के पास जाकर बैठने से

कोई भी कुछ भी रोक नहीं पायेगा तुम्हें
फिर वह तुम्हें देख मुस्कुराएगा
और तुम 
असह्य रूप से तड़पोगे 

और आदमी मुस्कुराता रहेगा
और तुम भी मुस्कुराओगे एकदम वैसे ही
जितना तुम मुस्कुराओगे उतना तुम तड़पोगे
असह्य रूप से
जितना तुम तड़पोगे उतना तुम मुस्कुराओगे
और निरुपाय 
तुम बैठे रहोगे वहाँ 
बेंच पर जमे रहोगे
मुस्कुराते हुए
तुम्हारे आस-पास बच्चे खेलेंगे
चुप-चाप लोग अपनी राह जायेंगे
पंछी उड़ेंगे
एक पेड़ से उड़ कर
दूसरे पर बैठेंगे
और तुम वहीँ रहोगे
उस बेंच पर
और तुम जान लोगे  
निश्चित ही जान लोगे
कि उन बच्चों की तरह
अब तुम कभी खेल नहीं पाओगे
कि उन लोगों की तरह
तुम कभी चुप-चाप 
अपनी राह चल नहीं पाओगे
कि उन पंछियों की तरह
तुम कभी उड़ नहीं पाओगे
एक पेड़ से उड़कर

दूसरे पर बैठ नहीं पाओगे

-- याक प्रेवेर




 याक प्रेवेर  ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है. 

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़