बुधवार, फ़रवरी 15, 2012

पुराने मंदिर के खण्डहर में

टेम्पल ऑफ़ अपोलो इन फिगालिया,
कार्ल ब्र्युलोव
Temple of Apollo in Phigalia,
Karl, Bryullov
संग्रहालय का चौकीदार भेड़ों के बाड़े के सामने बीड़ी पी रहा था.
भेड़ें संगमरमर के खण्डहरों के बीच उग आई घास चर रही थीं.
और नीचे नदी किनारे औरतें कपड़े धो रही थीं.
तुम सुन सकते थे लोहार की दुकान से आती हथौड़े की आवाज़.
चरवाहे ने सीटी बजाई थी. और भेड़ें ऐसे दौड़ी थीं उसकी ओर 
मानो संगमरमर के भग्नावशेष उठ कर दौड़ रहे हों.
कनेर के पेड़ों के पीछे 
पानी की मोटी गर्दन ठंडक झलका रही थी.
एक औरत ने अपने धुले कपड़े सुखा दिए थे 
झाड़ियों पर और मूर्तियों पर --
और उसने सुखाया अपने पति का लंगोट हेरा देवी की प्रतिमा के कन्धों पर.

एक अद्भुत शांतिपूर्ण और मौन अंतरंगता चलती आ रही थी सालों से.
नीचे तट पर मछुआरे पास से निकल रहे थे,
सर पर मछलियों से भरी चौड़ी टोकरियाँ लिए 
मानो रोशनी की लम्बी, पतली फांकें लेकर जा रहे हों :
सुनहरी, गुलाबी, जामुनी -- बिलकुल वैसे ही जैसे 
वह जुलूस, ज़री के काम वाली देवी की चूनर लिए था,
वह चूनर जो हमने काट डाली थी उस दिन और 
सजा लिए थे उसके परदे और मेज़पोश अपने खाली घरों में.


--- ज्यानिस रीत्ज़ोज़ 



 ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे.

इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद एडमंड कीली ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़