सोमवार, जुलाई 04, 2011

मौन

लैंडस्केप एट डस्क, विन्सेंट वान गोग
Landscape At Dusk, Vincent Van Gogh 
मौन हमेशा यहाँ है और हर जगह है ;
कई बार बस हम उसे और अधिक,
और साफ़-साफ़ सुन पाते हैं :
धुंध घास-भरे मैदान को ढक लेती है,
बाड़े का द्वार खुला है,
एक पंछी गा रहा है वहां पर, 
एक सफ़ेद पतंगा लगातार मंडरा रहा है 
एल्म पेड़ की टहनी के आस-पास,
और वह टहनी, सांध्य-आकाश की पृष्ठभूमि पर,
बहुत धीरे-धीरे अभी भी लहरा रही है.
सांझ हमसे सब नाम और चेहरे छीन लेती है,
केवल उजाले और अँधेरे के बीच का अंतर रह जाता है.
यह बीच-गर्मियों की रात का दिल :
मेज़ पर रखी पुरानी घड़ी 
अचानक इतनी जोर से टिकटिक कर रही है. 


-- यान काप्लिन्स्की


Author: Estonian Literary Magazine





यान काप्लिन्स्की ( Jaan Kaplinski )एस्टोनिया के कवि, भाषाविद व दार्शनिक हैं व यूरोप के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. वे अपने स्वतंत्र विचारों व वैश्विक सरोकारों के लिए जाने जाते हैं. उनके कई कविता-संग्रह, कहानियां, लेख व निबंध छप चुके हैं. उन्होंने कई भाषाओँ से कई भाषाओँ में अनुवाद किये है व उनके स्वयं के लेखन का भी कई भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन 'ईवनिंग ब्रिनग्ज़ एवरीथिंग बैक ' से है.
इस कविता का मूल एस्टोनियन से अंग्रेजी में अनुवाद फियोना सैम्प्सन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़