गुरुवार, मई 24, 2012

मुक्ति

स्टिल लाइफ विद बुक्स एंड कैंडल, ओंरी मातीस
Still Life With Books and Candle,
  Henri Matisse
ओह, कितना आनंद है
ना करने में किसी कर्त्तव्य का पालन!
पास में किताब का होना
और उसको ना पढ़ना!
किताब पढ़ना उबाऊ है.
पढ़ाई करना कुछ नहीं करना है.
सूरज बिना साहित्य पढ़े चमकता है.
नदियाँ बहती हैं, गलत या सही,
बिना किसी मूल संस्करण के.
और हौले-से बहती हवा, हर सुबह 

कितनी नैसर्गिक,
उसके पास है पर्याप्त समय और
नहीं है आगे दौड़ जाने का कोई कारण.

किताबें है केवल स्याही-रंगे कागज़.
पढ़ाई वह है जो शून्य और कुछ नहीं के बीच अंतर नहीं कर पाती.
सब से अच्छी है धुंध.
और कोई फर्क नहीं पड़ता कि दोम सेबास्चिऊ कभी लौटेंगे या नहीं.

बहुत अच्छे हैं कविता, दयालुता और नृत्य
मगर इस दुनिया में सब से अच्छे हैं बच्चे,
फूल, संगीत, चांदनी, और सूरज जिसकी एकमात्र गलती यह है कि
वह कभी-कभी जीवन को खिलाने के बजाय झुलसाने लगता है.

और इन सब से और किसी भी और चीज़ से बेहतर हैं इसा मसीह,
जो कुछ नहीं जानते थे वित्त के बारे में,
न ही उनके निजी पुस्तकालय के होने का पता है.




-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( अल्बेर्तो काइरो )



फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने अल्बेर्तो काइरो ( Alberto Caeiro )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नाम या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो ये है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग जीवनी, स्वभाव, दर्शन, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्ररी में उन पन्नों की एडिटिंग का काम आज तक जारी है. यह कविता उनके संकलन 'द कीपर ऑफ़ शीप ' से है.
इस कविता का मूल पुर्तगाली से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़