मंगलवार, जुलाई 17, 2012

सांझ

ईवनिंग एट आर्जेनतई, क्लौद मोने
Evening at Argenteuil, Claude Monet
सांझ धीरे-से पहन लेती है वस्त्र
जो उस के लिए,
लिए खड़ी है प्राचीन पेड़ों की एक कतार.
तुम देखते हो,
और दुनिया तुम से छूटने लगती है.
एक हिस्सा होता है स्वर्ग की ओर आरोहित,
बाकी नीचे कहीं गिर जाता है.

और तुम रह जाते हो,
दोनों में से किसी के पूरी तरह ना हो कर,
मौन घर की तरह एकदम अँधेरे नहीं
न ही अनंतता के बारे में आश्वस्त
जैसी कि है वह जो चमक रहा है
रात्री आकाश में अब,
प्रकाश का एक बिंदु.

तुम रह जाते हो,
उन कारणों से जो तुम समझा नहीं पाओगे,
एक ऐसे जीवन के साथ जो है व्याकुल और विशाल,
ताकि, कभी सीमित, कभी विस्तृत ,
वह बन जाता है तुम में अभी पत्थर, अभी तारा.


-- रायनर मरीया रिल्के



 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'बुक ऑफ़ इमेजिज़ ' से है.
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़