![]() |
थिंकिंग अबाउट डेथ, फ्रीडा काहलो Thinking About Death, Frida Kahlo |
तब भी, जब सामने आती है हमारे.
सामना केवल जीवन ही करता है.
आँख एक सड़क है
और सड़क एक चौराहा.
एक बच्चा खेलता है जीवन से,
बूढा आदमी उस से टेक लगाता है.
अधिक बोलने से ज़ंग लग जाता है जीभ को,
और सपनों के अभाव से आँख सूख जाती है.
झुर्रियां --
लकीरें चेहरे पर,
गढ्ढे मन में.
एक देह -- आधी देहरी,
आधी ढाल.
उस का सर है एक तितली
एक ही पंख वाली.
आकाश तुम्हें पढ़ता है
मृत्यु के तुम्हें लिख लेने के बाद.
आकाश के दो स्तन हैं;
उनसे सब लोग करते हैं
हर जगह, हर पल का पान.
मानव है एक किताब
जिसे जीवन लगातार पढ़ता है,
और मृत्यु एक क्षण में पढ़ लेती है
और केवल एक ही बार.
यह कैसा शहर है?
यहाँ समय नामक अन्धकार में
भोर प्रकट होती है एक छड़ी की तरह.
घर के बागीचे में वसंत आया,
आकर रखे अपने सामान
और उन्हें पेड़ों को बांटने लगा
अपनी बाहों से गिरती बारिश में.
कवि हमेशा गलत क्यों समझ लेता है?
वसंत उसे देता है अपने पत्ते
और वह उन्हें स्याही को दे देता है.
हमारा अस्तित्व एक ढाल है
और हम उसे चढ़ने के लिए जीते हैं.
मैं तुम्हें बधाई देता हूँ, रेत.
केवल तुम्हीं हो जो उड़ेल सकती है
पानी और मृगतृष्णा को
एक ही पात्र में.
-- अदुनिस

इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद खालेद मत्तावा ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़