शनिवार, मार्च 08, 2014

सहेली का तलाक़

इन द गार्डन, चाइल्ड हासम
In the Garden, Childe Hassam
मैं चाहती हूँ 
कि वह उखाड़ ले 
अपने बागीचे का 
हर पौधा 
पैन्ज़ी 
पेंटा फूल 
गुलाब 
रैननकुलेसी 
थाइम और लिली 
वे भी जिनका नाम 
कोई नहीं जानता 
उतार ले मॉर्निंग ग्लोरी
की बेल जो चढ़ी है 
बाड़ पर 
ले जाए वे फूल जो खिले हुए हैं 
और जो खिलने को हैं 
और जो अभी खिले नहीं, सो रहे हैं  
ख़ास तौर पर वे जो सो रहे हैं 
और फिर 
और फिर 
बो दे उन्हें अपने नए आँगन में 
शहर के
दूसरे छोर पर  
और फिर देखे कि 
वे कैसे साँस लेते हैं  


-- नाओमी शिहाब नाए 




 नाओमी शिहाब नाए ( Naomi Shihab Nye )एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है. यह कविता उनके संकलन ''फ़ुएल " से है. 

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़  

शुक्रवार, मार्च 07, 2014

शब्द पट्ट

फ्लावर्ज़ ऑफ़ सीशेल्ज़, मैक्स ऐरनेस्ट
Flowers of Seashells, Max Ernst  
1. 
उसने शंख को लगाया अपने कान से:
वह सुनना चाहती थी वो सब
जो 'उसने' उस से कभी नहीं कहा.

2. 
एक-दूसरे की ओर मुँह किये 
उन दोनों की देहों के बीच 
केवल एक इंच की दूरी है 
चित्र में:
एक फ्रेम-जड़ी मुस्कान  
दबी हुई है मलबे तले.

3. 
जब भी फेंकते हो तुम 
समुद्र में कंकड़ 
मुझ में लहरियाँ उठती हैं.

4. 
बहुत छोटा है मेरा दिल 
इसीलिए जल्दी भर आता है.

5. 
पानी में मिल जाने के लिए
और भरने के लिए खाली जगहें
नहीं है पानी को ज़रुरत किसी युद्ध की. 

6. 
पेड़ नहीं पूछता कि वह क्यों नहीं बस सकता 
किसी और जंगल में 
न ही पूछता है ऐसे और व्यर्थ के सवाल. 

7. 
जिस समय वह देखता है टीवी 
वह पढ़ती है एक उपन्यास
जिसकी जिल्द पर बना है 
एक आदमी जो टीवी देख रहा है 
और एक औरत जो पकड़े बैठी है उपन्यास. 

8. 
नए साल की 
पहली सुबह 
सर उठाकर देखेंगे हम सभी 
एक ही सूरज को. 

9. 
उसने उठाकर रखा उसका सर अपनी छाती पर. 
उसने जुम्बिश नहीं ली:
वह मर चुका था. 

10. 
वह जो मुझे निहारता रहा इतने समय तक 
और जिसे मैं उतने ही समय तक देखती रही एकटक .… 
वह आदमी जिसने कभी मुझे गले से नहीं लगाया 
और नहीं लगी मैं जिसके कभी गले.…
बारिश ने बहा दिए उसके सभी रंग
उस पुराने कैन्वस पर से.  

11. 
वह नहीं था उन पतियों में 
जो पहले खोए फिर पाए गए थे;
वह नहीं था लौटा युद्ध-बंदियों के संग,
न ही था वह उस पतंग के साथ, 
जो उड़ा ले गई थी उसे,
सपने में किसी दूसरी जगह,
जब वह खड़ी थी कैमरे के सामने, 
चिपकवा रही थी 
पासपोर्ट पर अपनी मुस्कान. 

12. 
सड़क के किनारे 
खजूरों के ऊंचे-ऊंचे ढेर:
मुझे चूमने का 
तुम्हारा तरीका. 

13. 
जैसे पहुँचते हैं
केश रॅपंज़ल के 
ऊपर खिड़की से 
नीचे धरती तक
वैसे इंतज़ार करते हैं हम.

14. 
दीवार पर 
छोड़ गए थे क़ैदी
जो परछाइयाँ,
घेर लेती हैं वे जेलर को 
और डालती हैं प्रकाश 
उसके अकेलेपन पर.

15. 
मातृभूमि, मैं नहीं हूँ तुम्हारी माँ,
तो फिर क्यों बिलखती हो तुम मेरी गोद में इस तरह 
हर बार 
जब चोट पहुँचती है तुम्हें?

16. 
मत ध्यान दो इस पंछी पर:
वह रोज़ आता है 
और रुकता है टहनी के सिरे पर 
गाने के लिए 
एक या दो गीत.
बस इतना ही करता है वह:
इतनी ख़ुशी उसे और कहीं नहीं मिलती.

17. 
घर की चाबियाँ, 
पहचान-पत्र,
हड्डियों के बीच छितरी धुंधली तस्वीरें...
ये सब कुछ फैला है 
एक सामूहिक कब्र में.

18. 
अरबी भाषा को 
पसंद हैं लम्बे वाक्य 
और लम्बे युद्ध.
उस पसंद हैं कभी न ख़त्म होने वाले गीत 
रतजगे 
और रोना खंडहरों में.
वह प्रयत्न करती है 
पाने के लिए दीर्घायु  
और एक दीर्घ मृत्यु.

19. 
घर से बहुत दूर हैं --
केवल यही बदलाव आया है हम में.

20. 
सिंड्रेल्ला छोड़ आयी है अपना स्लिपर इराक़ में 
और छोड़ आयी है चायदान से उठती 
इलायची की खुश्बू,
और वह बड़ा-सा फूल 
जिसका मुँह खुला रहता है मौत के मुँह की तरह.

21. 
तुरंत पहुँचते सन्देश 
करते हैं क्रान्ति को प्रज्ज्वलित.
वे नई ज़िंदगियों को भड़काते हैं
जब एक देश के डाउनलोड होने का इंतज़ार करते हुए,
ऐसा देश जो हो
मुट्ठी भर धूल से कुछ अधिक,
उनके सामने आते हैं ये शब्द:
"आपकी खोज से कोई परिणाम मेल नहीं खाते"

22. 
कुत्ते का जोश
जब वह उठा लाता है फेंकी हुई डंडी अपने मालिक के पास,
बस वही समय है पत्र को खोलने का.

23. 
बादलों की तरह 
हम हलके हो पार करते हैं सरहदें.
कोई हमें बोझ की तरह ढो नहीं रहा 
मगर जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं 
हम लाद लेते हैं बारिश 
और एक बोलने का लहज़ा 
और एक दूसरी जगह 
की याद.

24. 
कैसा रोमांच होता है उसके सामने आ कर.
वह क्या कह रहा है वह समझ नहीं पा रही:
उसे फुरसत कहाँ, वह मानो चबा रही है उसकी आवाज़.
वह देख रही है उन होंठों को जिन्हे वह कभी चूम नहीं पाएगी,
उन कांधों को जिन पर सर रख कर कभी रो नहीं पाएगी,
उस हाथ को जिसे वह कभी थाम नहीं पाएगी,
और नीचे ज़मीन को जहाँ मिल रही हैं दोनों कि परछाइयाँ.


-- दून्या मिखाइल 


image-dunya2  दून्या मिखाइल ( Dunya Mikhail )एक इराकी-अमरीकी कवयित्री हैं. वे अरबी में लिखतीं हैं व उनकी कविताएँ इराक के हालात , युद्ध, युद्ध से प्रभावित जीवन व विस्थापन के बारे में हैं. अरबी में उनकी कविताओं के पांच संकलन प्रकाशित हुए हैं. उनकी अंग्रेजी में अनूदित कविताओं के दो संकलन प्रकाशित हुए हैं, जिन में 'द वार वर्क्स हार्ड' को PEN ट्रांसलेशन अवार्ड मिला व 'डायरी ऑफ़ अ वेव आउटसाइड द सी' को अरब अमेरिकेन बुक अवार्ड मिला है. 2001 में उन्हें यू एन ह्यूमन राइट्स अवार्ड फॉर फ्रीडम ऑफ़ राइटिंग प्राप्त हुआ.

वे 1996 से अमरीका में रहती हैं व अरबी पढ़ाती हैं.
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद करीम जेम्स अबु-ज़ैद ने किया है.    
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

रविवार, मार्च 02, 2014

सही रास्ता

सॉफ्ट कंक्रीट, किशिओ सूगा
Soft Concrete, Kishio Suga


हरेक मील पर 
हर वर्ष 
तंग सोच लिए बूढ़े 
दिखाते हैं बच्चों को रास्ता 
ठोस सीमेंट के संकेतों से 



-- याक प्रेवेर 



 
याक प्रेवेर  (Jacques Prévert)फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है. 
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़