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इन द वुडज़ एट विंटर, आइसाक लेवितान In the Woods at Winter, Isaac Levitan |
वे अपनी पत्तियों को चूम कर फ़ेंक देते हैं,
फिर अपनी हथेलियों में छुपा अपना व्यथित
चेहरा, बर्फ हो जाते हैं;
या घड़ियों से,
नज़रें फेर लेना, प्रेम न करती रोशनी , छोटे दिन
कहने के लिए कुछ न बचना; एक गिरजाघर
सांझ के सागर पर जैसे एक भुतहा जहाज़.
एक पत्थर से सीखो,
उसकी अर्थहीन दिल जैसी आकृति,
अनवरत ठण्ड से सिद्ध; या उस से बड़े चाँद से,
अडिग हो आकाश में घुलना, या सितारों से,
जो निर्जीव हैं लातिनी क्रियाओं की तरह.
नदी से सीखो,
हमेशा कहीं और बहना, उसके नाम का भी,
बदलना, बदलते रहना; रस्सी से सीखो
जो लटकी है टहनी से फंदे की तरह, एक कोसता कौवा,
एक मरे हुए बगुले का शोक मनाती मक्खियों की सभा.
सीखो भौंचक्के बाग़ से, गर्मियों की कब्र,
जहाँ कुछ नहीं उगता, जाल के फटे हुए घूंघट से
किसी बीस्ट* का गुलाब तक नहीं;
हमारी रोज़ की रोटी से:
निरंतर बारिश, आंसुओं जैसी नहीं, जो त्यागती है बादलों का प्रेम;
भाषा से जो त्यागती है प्रेम के प्रेम को; यह बासी हवा भी नहीं करती प्रेम
अब उन सब जगहों से, जहाँ तुम होते थे.
-- कैरल एन डफ्फी

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
* 'ब्यूटी एंड द बीस्ट' कथा में बीस्ट गुलाब तोड़ने की सज़ा के रूप में जान मांगता है